वाराणसी- अपने एक दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे जर्मन के राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर स्टाइन मायर वाराणसी एयरपोर्ट से सीधे भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ पहुंचे। सारनाथ में सबसे पहले राष्ट्रपति स्टाइन मायर ने सारनाथ स्थित म्यूजियम का दीदार किया। लगभग 20 मिनट तक जर्मन राष्ट्रपति ने म्यूजिम में बौद्ध कलाकृति से जुडी कलाओं को निहारा। सारनाथ म्यूजियम में भगवान बुद्ध और बोधिसत्व की मूर्तियों के रूप में बौद्ध शिल्प का समृद्ध खजाने को राष्ट्रपति स्टाइन मायर देखकर अविभूत हो गए।सारनाथ म्यूजियम के दीदार के बाद वो बौद्ध मंदिर पहुंच जहां उन्होंने भगवान बुद्ध की अस्थियों के दर्शन किये और सारनाथ का भ्रमण भी किया। सारनाथ भ्रमण के बाद वो होटल ताज के लिए निकल गये |
*सारनाथ म्युजियम की खास बातें*
ये है सारनाथ म्यूजियम की ख़ास बातें
अशोक स्तंभ उत्तर भारत में मिलने वाले शृंखलाबद्ध स्तंभ हैं। इन स्तंभों को सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल (तीसरी शताब्दी) में बनवाया था। हर स्तंभ की उंचाई 40 से 50 फुट है और वजन कम से कम 50 टन है। इन स्तंभों को वाराणसी के पास स्थित एक कस्बे चुनार में बनाया गया था और फिर इसे खींचकर उस जगह लाया गया, जहां उसे खड़ा किया गया था।
सारनाथ का अशोक स्तम्भ बहोत प्रसिद्ध हैं
वैसे तो कई अशोक स्तंभों का निर्माण किया गया था, पर आज शिलालेख के साथ सिर्फ 19 ही शेष बचे हैं। इनमें से सारनाथ का अशोक स्तंभ सबसे प्रसिद्ध है। इन स्तंभों में चार शेर एक के पीछे एक बैठे हुए हैं। आज इसे भारत के राष्ट्रचिह्न के रूप में अपना लिया गया है। यह चार शेर शक्ति, शौर्य, गर्व और आत्कविश्वास के सूचक हैं। स्तंभ के ही निचले भाग में बना अशोक चक्र आज राष्ट्रीय ध्वज की शान बढ़ा रह है।
रिपोर्ट-:अनिल गुप्ता वाराणसी