फतेहगंज पश्चिमी, बरेली- कोरोना वायरस के प्रकोप को लेकर जहां पूरा देश लॉक डाउन को लेकर घर में रहने को मजबूर है। ऐसे समय में घर में बैठे बच्चे कई रचनात्मक कार्य करके समय गुजार रहे है। कई बच्चे जहां पब जी, लूडो, कैरम बोर्ड, रेस रायडर, जैसे गेम खेल कर अपना समय गुजार रहे हैं, वहीं कई बच्चे रचनात्मक कार्य सीख रहे है। राजकीय इण्टर कालेज बरेली के उप प्रधानाचार्य डॉक्टर अवनीश यादव के दिशा निर्देशन मे बहुत से बच्चे आनलाइन पठन -पाठन से जुड़े हैं। वहीं कुछ बच्चे रचनात्मक लेखन भी सीख रहे हैं । इसी के अंतर्गत बच्चों ने कोरोना डेज, मेरी डायरी, लॉक डाउन डेज, मेरी संदर्शिका, मेरी स्वदर्शिका जैसी दैनिक डायरी बनाकर लॉकडाउन अवधि के दौरान अपने दैनिक अनुभवों को कविता, कहानी, चित्रकथा, कार्टून, रेपोर्ताज, संस्मरण, बोलते चित्र , पोस्टर, स्लोगन आदि के रूप में व्यक्त किया है। कोरोना डेज डायरी में जनता कर्फ्यू के अगले दिन स्नातक छात्रा श्रेया अपनी डायरी में कुछ यूँ लिखती हैं – माननीय प्रधानमंत्री जी के आवाहन पर छत पर जाकर अपने परिवार के साथ थाली और ताली बजायी। सबको ऐसा करते देख बहुत अच्छा लगा। पर बाद में कुछ लोग रास्तों में इकट्ठा हो गए। मुझे उनका ऐसा करना अच्छा नहीं लगा। यह भूल भारी पड़ सकती है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र अजित विक्रम ने कोरोना से सम्बंधित कविताए लिखी हैं जबकि शिक्षा शास्त्र का अध्ययन कर रहीं छात्रा निशि कार्टून एवं बोलते चित्रों के माध्यम से अपनी रचनात्मकता को प्रदर्शित कर रही है। स्नातक द्वितीय वर्ष के छात्र कृष्णकांत अपनी डायरी मे लिखते है – स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक व्यक्ति घर पर आए थे। उन्होंने घर के बुज़ुर्गों के बारे मे जानकारी ली। खाँसी, जुकाम तो नहीं यह पूछा। पर वह स्वयं न तो मास्क लगाए थे और न ही उनके पास सैनिटाइजर था। मैंने उन्हें इसके बारे कहा। उन्होंने मेरी बात मान ली और आगे से सावधानी रखने की बात कही। इसी प्रकार छात्र शिवकांत, ईशान, राघव, देवर्षि कांत, राम, नवनीत, गीति, अजित , छात्रा ख्याति श्री, तरुशिखा, भावना, उपासना आदि कविता, कहानी, क्विज, पोस्टर निर्माण, नारा लेखन, रिपोर्ताज लेखन, समाचार संकलन आदि के द्वारा लॉकडाउन अवधि में स्वयं को सक्रिय रखते हुए रचनात्मक संदेश दे रहे हैं। इन बच्चों का मार्गदर्शन कर रहे डॉक्टर अवनीश यादव बताते हैं – कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के चलते माननीय प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर घोषित लॉकडाउन समय की मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए मैंने व्यक्तिगत रूप से तथा विभिन्न सोशल माध्यमों से बच्चों को रचनात्मक रूप से सक्रिय रहने का संदेश देते हुए उनकी रुचियों को ध्यान मे रखते हुए कुछ जरूरी टिप्स दिए थे। मुझे बेहद प्रसन्नता है कि बच्चों ने विचार पर काम किया। इस अपील के बहुत ही सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। जिससे बच्चों में रचनात्मक प्रवृत्ति के प्रकाशन के साथ साथ निरंतर सीखना हो रहा है और कोरोना से बचाव भी हो रहा है।।
– बरेली से कपिल यादव