सोनभद्र/ पिपरी -सोनभद्र पिपरी स्थित खेल मैदान पर चल रहे श्री विष्णु महा यज्ञ व श्रीराम कथा के पांचवे दिन भारी संख्या में लोगो ने यज्ञ स्थान की परिक्रमा की।पण्डित दिलीप कृष्ण भारद्वाज महाराज जी द्वारा नारद मोह व राम जन्म की लीला श्रद्धालुओ को सुनाई गई नारद जी के मन मे मोह उत्पन्न हुआ नारद जी क्षीसागर में जा श्री हरि विष्णु से उनके जैसा चेहरा मांगते है नारद की बात सुन विष्णु जी उन्हें चेहरा दे देते है ।लेकिन नारद जी उस चेहरे से अपना हित नही साध पाते।कहा कि भगवान को मनाने वाले को उनकी भावना जुड़ जाती।कहा कि मनुष्य को घमंड नही करना चाहिए।कहा कि यह शरीर तो मिट्टी में मिल जाएगा। विश्व मोहिनी के स्वयंबर मे जाते है जहाँ बन्दर का चेहरा देख सभी नारद जी पर हसते है जब नारद जी आईने में अपना चेहरा देखते है तो बहुत क्रोधित होते है तथा क्षीर सागर में जा श्रीविष्णु को श्राप देते है नारद जी के द्वारा दिये गए श्राप को श्री हरि स्वेच्छा से स्वीकार करते है वही धरती पर दानव द्वारा बढता अत्याचार को देख प्रभु राजा दशरथ के घर श्री राम चन्द्र जी का जन्म होता है वही रामजन्म की बधाइयां में पंडाल मे मौजूद महिलाये और पुरूष खूब झूमते नाचते रहे।
*भए प्रगट कृपाला दीन दयाला*
कौशल्या हितकारी हर्षित महतारी
मुनि मन हारी, अद्भुत रूप बिचारी
लोचन अभिरामा, तनु घनश्यामा
आयुध भुजचारी, भूषण वनमाला, नयन विशाला ,सोभासिंधु खरारी
वही महाराज जी के बातों से श्रद्धालु भाव विभोर हुए उन्होंने कहा कि माटी के पुतले तू प्रभु भजन में एक रात तक तो चल तू एक बून्द पानी के पड़ते ही पिघल जाएगा ।कहा कि मोक्ष प्राप्ति के लिए लोभ का त्याग करना चाहिए।अहंकार से ओमकार चले जाते है जहाँ ओमकार होंगे वहाँ अहंकार चले जायेंगे वासना का अंत बुरा होता है अनन्त से शून्य की ओर उपासना व शून्य से शुरू होता है अनन्त की ओर जा सकता है।इस दौरान राष्ट्रीय कार्यकरिणी सदस्य चांद प्रकाश जैन ने कहा कि कथा से जीवन मूल्य की अभिभूति प्राप्त होती है।कहा कि प्रभु का स्मरण से मन को शांति मिलती है।इस मौके पर आयोजन समिति के अखिलेश सिंह,शत्रुध्न सिंह,अजीत सिंह,हरपाल सिंह कलसी,प्रदीप सिंह रानू,गोपाल तिवारी,मनीष आँवले,मनोज कुमार,राघवेन्द्र यादव,शिवलल्लन पाठक, सौरभ कुमार,सीता सिंह,गीता सिंह,आरती मिश्रा,कुसुम शर्मा,गुडिया पाण्डेय,सीमा श्रीवास्ताव आदि बडी संख्या में भक्तजन उपास्थित रहे।
रिपोर्ट-:सर्वदानंद तिवारी सोनभद्र