आजमगढ़- देश के कोने कोने में संचार सुविधा मुहैया कराने वाले भारत संचार निगम लिमिटेड के कर्मचारी सोमवार को नगर के कई स्थानों पर भ्रमण कर कर्मचारियों व आमजन में बीएसएनएल बचाएं देश बचाएं का नारा लगाते हुए पर्चा का वितरण किया। सीएचक्यू के महासचिव के आह्वान पर बीएसएनएल इम्पलाईज यूनियन के जिला सचिव आनन्द सिंह के नेतृत्व में सिविल लाईन स्थित कार्यालय से कर्मचारी निकले और कलेक्ट्रेट, नगर पालिका, रैदोपुर आदि स्थानों पर पहुंचकर कर्मचारी, किसान, नौजवान विरोधी कार्य करने वाली सरकार को सबक सिखाने की बात कहीं बीएसएनएल इम्पलाइज यूनियन के जिला सचिव आनन्द सिंह ने कहाकि निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सार्वजनिक उपयोगिता की सेवाएं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, भारतीय रेल, वित्तीयसेवाओं, बिजली पानी आदि के प्रत्येक हिस्से को पीपीपी के माध्यम से आउटसोर्सिंग, निजीकरण और व्यवसायीकरण की ओर धकेल दिया गया। देश के उपभोक्ताओं को विश्वस्तरीय संचारसेवा सस्ते दर पर उपलब्ध करान के उद्देश्य से वर्ष 2000 में सरकार द्वारा बीएसएनएल कम्पनी का निर्माण किया गया। दूर संचार क्षेत्र में बीएसएनएल ही एकमात्र ऐसी कम्पनी है जो सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में संचार सेवाएं प्रदान कर सामाजिक दायित्वों को पूरा करता है। इसके विपरित निजी कम्पनियां दुर्गम क्षेत्र व नुकशान वाले क्षेत्रों में न जाकर अपना व्यवसाय सिर्फ प्रभावकारी शहरी क्षेत्रों में ही करती है। सामाजिक दायित्वों को पूरा करने के लिए बीएसएनएल ने भारी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों में अपने कर्मचारियों को नियुक्त किया है। बीएसएनएल के आप्टिकल फाइबल नेटवर्क के बल पर ही सरकार की प्रतिष्ठित डिजीटल इंडिया योजना का क्रियान्वयन हो रहा है। जिसमें बीएसएनएल के सभी एक्जीक्यूटिव, नाम एक्जीक्यूटिव कर्मचारी अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे है। जिसके कारण बीएसएनएल निरंतर विकास की ओर जा रहा है, लेकिन पिछले 5 सालों में सरकार द्वारा इसे कमजोर करने के लिए हर संभव प्रयास किये गये। उन्होने कहाकि बीएसएनएल के घाटे में जाने का कारण कर्मचारी नहीं बल्कि सरकार है, क्योंकि वह प्राइवेट कम्पनियों को मजबूत करने के उद्देश्य से ही बीएसएनएल को कमजोर करती चली जा रही है। कहाकि सरकार की बीएसएनएल विरोधी नीतियों के कारण घाटा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। कर्मचारी इसके पुनरूद्धार के लिए यूनियन, एसोसिएशन के माध्यम से पिछले 2 वर्षों से संघर्ष कर रहे है, लेकिन सरकार इसे विकसित करने के बजाय खत्म करने पर आमादा है। सरकार कर्मचारियों की संख्या को बोझ मान रही है। समय से वेतन न देकर सुविधाओं में कटौती कर उनके अंदर असुरक्षा व भय की भावना उत्पन्न कर रही है। 54 हजार एक्जीक्यूटिव व नान एक्जीक्यूटिव को बीआरएस व उनकी रिटायरमेंट की आयु 60 से 58 वर्ष कर घर भेजने की योजना बना रही है। अब समय आ गया है कि हम सभी अच्छे वातावरण का निर्माण करें और इस बार मजदूर, किसान, बेरोजगार, कर्मचारी एवं सार्वजनिक उपक्रम विरोधी सरकार को उखाड़ फेंके। इस अवसर पर पंचानन्द राम, हरिश्चन्द्र गिरी, आरके यादव, सुनील सिंह, सुनील चौहान, श्याम बहादुर यादव, महेश कुमार, एसपी पांडेय, जयप्रकाश पांडेय, मदन यादव, प्रतिमा सिंह, राजपति देवी, परमेश्वर शाह, सुबाष श्रीवास्तव, नन्दलाल, देवेश, रामाशीष, सुदर्शन चौहान, सुनील उपाध्याय, जेपी यादव, अरविन्द यादव, युके सिंह, रामप्रकाश सोनकर, अब्दुल, विरेन्द्र चौबे, रमाकांत यादव, रामभुवाल, सतईराम, सुरेश यादव, धर्मेन्द्र कुमार सिंह, रामप्रकाश सिंह, दुबई, पन्नालाल सोनकर, रविन्द्र प्रजापति, सीताराम यादव, शिवबचन राजभर, नन्दलाल, अशोक, नीलम पांडेय, नरेन्द्र प्रजापति, हरेन्द्र दूबे, अजय राय, राजेश, माता प्रसाद यादव, रामविजय सिंह आदि मौजूद रहे।
रिपोर्ट:-राकेश वर्मा आजमगढ़