प्रदूषण से बचना है तो मिट्‌टी की मूर्ति ही श्रेष्ठ विकल्प:कुमावत

राजस्थान-पाली| बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ चैरिटेबल ट्रस्ट पाली राजस्थान उपप्रभारी अशोक कुमावत ने कहा की पर्यावरण को बचाना है तो मिट्टी की मूर्तियो का उपयोग करे।
मिट्‌टी की प्रतिमा ही श्रेष्ठ व पर्यावरण हितकारी है। प्रदुषण की भरमार पाली को गणेशोत्सव के दौरान जल प्रदूषण से बचाने के उद्देश्य से प्राकृतिक मिट्टी की मूर्तियां बनाई जा रही है।
अशोक कुमावत ने कहा कि गणेशोत्सव सहित धार्मिक आयोजनों में प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्ति के विसर्जन पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण व एनजीटी की सख्ती के बाद प्रशासन द्वारा प्रदेशभर में मिट्टी की बनी मुर्तियों पर खासा ध्यान दिया जा रहा हैं। कुमावत ने कहा की मूर्ति व्यवसायी सरकार द्वारा लागू किए गए प्रदूषण नियंत्रण संबंधी सभी नियमों का पालन करे।
गौरतलब है कि डिंगाई के निकट किरवा गांव में अशोक कुमार,
जगदीश कुमार, भंवरलाल, रमेश कुमार, दिनेश कुमार एवम नारायणलाल प्रजापति के यहाँ मिट्टी की मूर्तियां बनाने का कार्य शुरू किया गया ।
यहा अब मिट्टी के सभी देवी देवताओ की मूर्तिया बनाई जा रही है। पाली में जल की त्रासदी को देखते हुए जल प्रदुषण को रोकने के लिए सभी तरह की मूर्तिया शुध्द मिट्टी से बनाई जा रही हैं।
गणेशोत्सव के दौरान मूर्तियो को अब भरे तालाब में डालने पर भी पानी दूषित नही होगा। इसमें मिट्टी तालाब में घुल जाएगी।
ऐसी सकारात्मक सोच के साथ पाली को स्वच्छ व सुंदर बनाने के उद्देश्य से यह कार्य शुरू किया गया है।
अशोक कुमावत ने आगे कहा कि प्रदूषित पाली में यदि मिट्टी की बनी मूर्तिओ को प्राथमिकता नही दी जाती है तो पहले गणेशोत्सव, फिर विश्वकर्मा पूजा उसके बाद नवरात्र के समय जगह-जगह स्थापित की गई पीओपी की मूर्तियों का सार्वजनिक तालाबों, झीलों और नदियों में विसर्जन पर पाली को गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ सकते है। वक्त पर पर्यावरणपूरक मूर्ति-विसर्जन पर विचार किया जाना बेहद जरूरी है।
यह जानकारी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ चैरिटेबल ट्रस्ट पाली राजस्थान प्रभारी चतराराम महादेव प्रजापति,उप प्रभारी अशोक कुमावत ने दी।

पत्रकार दिनेश लूणिया

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