आजमगढ़- वाराणसी से वाया टांडा लुम्बनी जाने वाले नेशनल हाइवे 233 में किसानों को मिले मुआवजे की दरों की उच्चस्तरीय जांच के लिए शासन से संस्तुति की गई है। यह संस्तुति जिलाधिकारी ने गोरखपुर एक्सप्रेस लिंक वे से प्रभावित किसानों के आंदोलन में एनएच 233 की तर्ज पर मुआवजे की मांग को ध्यान में रखते हुए किया है। शनिवार को कलक्ट्रेट सभागार में प्रेसवार्ता में डीएम नागेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि अतरौलिया में एनएच 233 के किनारे किसान लगातार 14 दिन से आंदोलन कर रहे हैं। लगातार बातचीत के बावजूद किसान ऐसी मांग कर रहे हैं जो तर्क संगत नहीं है। उन्होने कहा कि जब 2016 में इसी फार्मूले पर जिले के किसानों ने पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का मुआवजा लेकर जमीनों का बैनामा किया तो अब विरोध कैसा। उन्होंने कहा कि मै कोई राजनीतिक आरोप नहीं लगा रहा लेकिन दोनों वर्षो की तुलना कर अंदाजा लगाना कठिन नहीं है कि इन सबके मूल में क्या है। शुक्रवार को ही आंदोलनरत किसानों ने प्रशासन का विरोध दर्ज कराते हुए प्रतीकात्मक प्रशासन की तेरहवीं तक मना डाली। इस सवाल पर डीएम ने कहा कि विरोध का उनका तरीका उनके संस्कार को दर्शाता है, मै कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। मै किसी भी सूरत में किसानों का अहित नहीं करूंगा,लेकिन नियम के दायरे में रहकर। खास बात ये है कि किसानों की सहमति पर ही उनकी जमीन ली जाएगी, बिना उनकी सहमति के जबरदस्ती जमीन लेने का प्रयास मै नहीं करूंगा, तब फिर विरोध कैसा और क्यों । मैने किसानों से लगातार उनकी समस्याओं का साक्ष्य समेत विवरण मांगा। जब कमेटी बनाकर नियम के आधार पर उनके हल तक पहुंचने की कोशिश प्रशासन करने लगा तो किसान एनएच 233 के आधार पर मुआवजे की मांग करने लगे। एनएच मुआवजे की दरें किस आधार पर रखी गईं अब इसकी जांच बेहद जरूरी हो जाती हैं। क्योंकि किसान उसी दर पर मुआवजे की मांग पर अड़े हैं। मै पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट शासन को प्रेषित करते हुए एनएच में मुआवजे की दरों की उच्च स्तरीय जांच के लिए शासन से संस्तुति कर रहा हूं ताकि किसानों के साथ न्याय हो सके।
रिपोर्टर:- राकेश वर्मा आजमगढ़