देशहित में शिक्षा का निजीकरण बंद किया जाये

*पोस्टर, चित्रों, स्लोगन, कविता और नारों के माध्यम से सभी के लिए समान शिक्षा के अवसर की उपलब्धता की आवश्यकता को दर्शाया गया।

वाराणसी- एक देश सामान शिक्षा अभियान एवं आशा ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में वृहस्पतिवार को सभी के लिए समान शिक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए जन संवाद का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मेहंदीगंज प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के साथ संवाद स्थापित कर देश में सभी के सामान शिक्षा के अवसर की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के प्रति बच्चों की ओर से मांग उठाने की अपील की गयी. इस दौरान पोस्टर प्रदर्शनी लगायी गयी जिसमे विभिन्न चित्रों, स्लोगन, कविताओं और नारों के माध्यम से सभी के लिए समान एवं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के अवसर की उपलब्धता की आवश्यकता को दर्शाया गया था।

*संवाद के मुख बिंदु निम्न रहे*

1. माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल के आदेश दिनांक 18 अगस्त 2015 जिसमे कहा गया है कि “सरकारी खजाने से पैसा लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति अपने बच्चे को सरकारी विद्यालय में ही पढ़ाएंगे” का अनुपालन कैसे करवाया जाए ?
2. अपने आस-पड़ोस के सरकारी व परिषदीय विद्यालयों को बचाने एवं उसकी गुणवक्ता बेहतर बनाने के लिए विद्यालय में अपनी और समाज की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना चाहिए की नहीं ?
3. देश के हर बच्चों को अच्छी शिक्षा मुफ्त में मिलना चाहिए अथवा नहीं ?
4. देश में शिक्षा को रोजगारपरक होना चाहिए या नहीं, जो बच्चा पढाई पूरी कर ले उसके लिए रोजगार होना चाहिए या नहीं ?

अभियान के संयोजक दीनदयाल सिंह के कहा कि शिक्षा के बढ़ते बाजारीकरण के कारण आज समाज का एक बड़ा हिस्सा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो रहा है, कोई स्पष्ट नीति न होने के कारण सरकारी विद्यालयों की स्थिति क्रमशः दयनीय होती जा रही है।

मनरेगा मजदूर यूनियन के संयोजक सुरेश राठौर ने कहा कि सरकारी स्कूलों को प्रायः बदहाल स्थिति में छोड़ दिया गया है यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार नवोदय विद्यालयों और केन्द्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए अभिभावक उत्सुकता दिखाते हैं उसी प्रकार सरकारी प्राथमिक स्कूलों की भी गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार होने पर बच्चों के प्रवेश के लिए लोगों का झुकाव होगा.उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार पूंजीपतियों के दबाब में शिक्षा को ब्यापार बनाने पर उतारू है,जबकि प्राचीन काल से ही शिक्षा को सेवा का कार्य माना जाता है ।
अभियान की तरफ से जारी पोस्टरों एवं हस्ताक्षर अभियान के द्वारा मांग की गयी कि माननीय उच्च न्यायालय के दिनांक 18 अगस्त 2015 का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाय और इसे देश के स्तर तक लागू किया जाय. शिक्षा का बजट बढाया जाय. परिषदीय व सरकारी स्कूलों में उच्च स्तर के संसाधन उपलब्ध कराये जांय. सभी सांसद एवं विधायक अपनी निधि से अनिवार्य रूप से कम से कम 30 प्रतिशत धनराशि अपने क्षेत्र के परिषदीय व सरकारी विद्यालयों के संसाधन को उच्च स्तरीय बनाने में व्यय करें. सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर की जाय, शिक्षकों से किसी भी प्रकार का गैर शैक्षणिक कार्य न कराया जाय तथा प्रत्येक सरकारी विद्यालय पर अनिवार्य रूप से लिपिक, परिचारक, चौकीदार और सफाई कर्मी की नियुक्ति हो और सभी के लिए समान शिक्षा की नीति पूरे देश में व्यवहारिकरूप से लागू हो. कार्यक्रम में मुख्य रूप से योगिराज पटेल, महेंद्र, सुरेश, दीन दयाल, रेनू, ओमप्रकाश पटेल,श्यामलाल वर्मा,संतोष गुप्ता,ऋतुपर्ण,श्यामा,नीना जायसवाल आदि लोग मुख्य रूप से शामिल रहे।

रिपोर्टर-:महेश पाण्डेय के साथ (राजकुमार गुप्ता) वाराणसी

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