*बाहर से आने वाले लोग नही है मेरी जिम्मेदारी, घर से लाए कटिया बिस्तर और खाना
हरदोई -संकट के समय समय जब देश का हर व्यक्ति अपनी अपनी सामर्थ्य के अनुसार लोगों की मदद मे जुटा हुआ है तो वही कुछ ऐसे जनप्रतिनिधि भी है जो लोगों की मदद करने के स्थान पर अपनी जिम्मेदारियों से भागने का काम कर रहे हैं। एक ऐसा ही मामला सुरसा ब्लाक की ग्राम पंचायत गंगापुर से सामने आया है जहां पर गांव में बाहर से आये लोगों की मदद करने से प्रधान उमाशंकर ने हाँथ खड़े कर दिए हैं। प्रधान का कहना है कि बाहर से आये लोगों की मदद करना उनकी जिम्मेदारी नही है और बाहर से आये सभी लोग अपने खाने पीने व शौच का प्रबंध स्वयं करें। इस संबंध में जब बाहर से गांव में आए एक ग्रामीण ने प्रधान उमाशंकर से सवाल जबाब किया तो प्रधान भड़क गया और यह कहते हुए ग्रामीण को धमकाने लगा कि डीएम से शिकायत कर दो जाकर लेकिन मेरा काम केवल स्कूल खुलवाना था वह मैंने कर दिया है, अब चाहें कोई गांव के बाहर बने स्कूल में रहे या गांव के अंदर बने घर मे रहे जाकर, उसे उससे कोई मतलब नही। प्रधान का कहना है कि डीएम से 3 लाख रुपये दिलवाओ तभी तभी मैं खाने आदि का प्रबंध करूँगा वरना जिसे जहां शिकायत करनी है करे जाकर। संकट के समय जब प्रधान को संवेदनशीलता दिखाते हुए अपने गांव के लोगों की मदद को आगे आना चाहिए था ऐसे समय मे प्रधान की यह कार्यशैली पूरे गांव को संकट में डाल सकती है जिसके चलते ग्रामीणों में खासा रोष व्याप्त है। गांव में सूरज राठौर, आनंद राठौर, संतोष पाल, अजय पाल, विदित शुक्ला, रमेश वर्मा व मंजेश पाल सहित अन्य लोग भी दिल्ली गाजियाबाद नोएडा आदि शहरों से वापस अपने गांव गंगापुर आये हैं।
अब आगे देखना होगा कि डीएम के आदेशों की धज्जियां उड़ाने वाले इस प्रधान पर जिला प्रशासन क्या कार्यवाही करता है।
वही जिले के जिला अधिकारी पुलकित खरे ने आदेश जारी किया है दूसरे प्रदेश जैसे दिल्ली हरियाणा गाजियाबाद के मजदूर लोग जो गांव आए हैं उनको प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी मिलकर गांव के पंचायत भवन या फिर किसी विद्यालय में 14 दिन तक रखा जाए खाने पानी की व्यवस्था कराई जाए जिसको लेकर प्रधान ग्राम पंचायत अधिकारी और खंड विकास अधिकारी को आदेश जारी किए हैं यही नहीं जिले के और भी ग्राम सभाओं में यह कार्य हो रहा है लेकिन यह प्रधान ने डीएम के आदेशों पर ही सवाल खड़ा कर दिया ऐसे में समझा जा सकता है कि ग्राम प्रधान कितना कर रहे हैं या कितना आदेश प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का मान रहे हैं साफ तौर पर दिख रहा।
– हरदोई से आशीष सिंह