कांवड़ मेले में पुण्य ले गए गंदगी छोड़ गए कांवड़िए: कूड़ा निगम के लिए बना मुसीबत

हरिद्वार – कांवड़ मेले में गंगा जल लेने आए करोड़ों श्रद्वालु धर्मनगरी से पुण्य तो अर्जित कर लें लेकिन अपने पिछे हरिद्वार व गंगा को टनों कचरे की सौगात छोड़ गए है धर्मनगरी में करीब 2500 मीट्रिक टन कूड़ा जमा है। इसे साफ करने के लिए नगर निगम को सफाई के लिए महाभियान चलाना पड़ रहा है।
कांवड़ मेला संपन्न होने के बाद शहर में यातायात व्यवस्था सामान्य होने डीजे व बाईकों का शोर थमने के बाद लोगों ने राहत की सांस जरूर ली है कांवड़ मेले के बाद हरकी पैड़ी सहित तमाम घाटों व गंगा के आसपास तथा शहर के मैदानों में फैले टनों कचरे से एक बात तो साफ हो चलीं है कि चाहे कितने भी नियम व जागरूकता अभियान चलाएं जाएं लोगों पर किसी का कोई असर नहीं हरिद्वार के गंगा घाट हों या पार्किंग स्थल, हाईवे अथवा शहर की गलियां चारों ओर गंदगी के अंबार नजर आ रहे हैं। सड़कों पर दुर्गंध के कारण चलना तक दूभर हो गया है। अनगिनत कांवड़ें गंगा तट पर पड़ी हैं। नगर निगम अफसरों के अनुसार हरिद्वार में करीब 2500 मीट्रिक टन कूड़ा जमा है। इसे साफ करने के लिए नगर निगम को सफाई के लिए महाभियान चलाना पड़ रहा है। तीस स्वयं सेवी संस्थाओं के दो हजार स्वयं सेवकों की मदद ली जा रही है। कूड़े को एकत्र करने में एक सप्ताह से अधिक का समय लगेगा।
28 जुलाई से नौ अगस्त तक चली कांवड़ यात्रा के दौरान साढ़ तीन करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे। इस अपार जन सैलाब के बीच आस्था के बोझ तले नैतिकता कराहती रह गई। स्वच्छ भारत के संकल्प माना बिसरा दिए गए। आलम यह रहा कि यात्रा के दौरान जमकर पॉलीथिन का इस्तेमाल हुआ। गंगा स्वच्छता के लिए तैनात स्वयं सेवक भी यात्रियों को गंगा तट पर कूड़ा डालने से नहीं रोक पाए।नगर आयुक्त और अपर जिलाधिकारी राजस्व डॉ. ललित नारायण मिश्रा बताते हैं कि इतनी बड़ी तादाद में जमा कूड़े के निस्तारण के लिए निगम के संसाधन पर्याप्त नहीं हैं। इसीलिए अन्य विभागों और संस्थाओं से मदद ली जा रही है। इस महाभियान में निगम के 650 नियमित सफाई कर्मचारियों के अलावा अन्य विभागों 400 कर्मचारियों को भी लगाया गया है। सिडकुल की औद्योगिक इकाइयों की भी सहायता ली जा रही है।
– हरिद्वार से तसलीम अहमद

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