500 साल से नशे से दूर है पूरा गांव इंडिया बुक आफ रिकार्ड में दर्ज

सात्विक खानपान और पूर्ण रूप से नशाबंदी का पालन करने वाला देवबंद क्षेत्र का विख्यात और अनूठा गांव मिरगपुर इंडिया बुक आफ रिकार्ड में दर्ज हो गया है।
ग्राम मिरगपुर सेवा समिति के सदस्यों मनोज पंवार,अंकुर पंवार चौधरी और रवि पंवार चौधरी ने कहा कि इंडिया बुक आफ रिकार्ड में गांव का नाम दर्ज होने से इस गांव को पर्यटन स्थल की सूची में शामिल किए जाने में मदद मिल सकती है। करीब 10 हजार की आबादी वाला मिरगपुर गांव देवबंद से पांच किलोमीटर की दूरी पर काली नदी के किनारे पर स्थित है। इस गांव में सात्विक खानपान और नशामुक्ति का अभियान 500 सालों से जारी है। जब बाबा फकीरादास राजस्थान के पुष्कर के पास से इंदरपुर से हरिद्वार भ्रमण को आए थे और वापसी में ग्राम मिरगपुर में ऊंचे टीले पर कुटी बनाकर रहे थे और उस दौरान उन्होंने तपस्या भी की थी।हर साल महाशिव रात्रि के बाद उस स्थान पर मेले का आयोजन होता है। बाबा फकीरादास ने गांव के लोगों को गौपालन के साथ-साथ किसी भी तरह का नशा ना करना,हुक्का-बीड़ी,सिगरेट,पान, तंबाकू, मांस मदिरा, प्याज लहसुन से दूर रहने की सीख दी थी। उन्होंने गांव वालों से कहा था कि अगर आप लोग उनके निर्देशों का पालन करोंगे तो यह गांव हमेशा खुशहाल और समृद्धशाली रहेगा। इस गांव में 80 फीसद आबादी हिंदू गुर्जर बिरादरी की है। जो मेहनती किसान हैं। सात्विक भोजन करते हैं। सज्जन विनम्र और सदाचार का पालन करते हैं।

पुलिस और प्रशासन के रिकार्ड में हालांकि इस गांव की छवि दो बातों को लेकर अच्छी नहीं है। एक तो इस गांव में आपस में रंजिशन हत्याएं की घटनाएं बहुत ही होती हैं। दूसरे गांव के कुछ असामाजिक प्रवृति के लोगों के कारण यह गांव अपनी ख्याति के साथ न्याय नहीं करता दिखता है।

कानून और व्यवस्था के नजरिए से गांव मिरगपुर को संवेदनशील श्रेणी में रखा हुआ है। राजस्थान के कांग्रेस नेता सचिन पायलट सहारनपुर की कैराना लोकसभा सीट से सांसद चौधरी प्रदीप सिंह, सहारनपुर महानगर के सपा विधायक संजय गर्ग आदि का इस गांव में अच्छा-खासा प्रभाव है।

उन्होंने इंडिया बुक आफ रिकार्ड में मिरगपुर गांव का नाम दर्ज होने का स्वागत किया है और गांव वासियों को भरोसा दिलाया है कि वे इस गांव को पर्यटन स्थल घोषित कराने का प्रयास करेंगे।

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