हैपेटाइटिस बी की मुफ्त दवाईंयों का वितरण भारत में भी शुरू, पीजीआईएमएस रोहतक से हुई शुरूआत

*एक ही छत के नीचे सारी जांचें व इलाज होते हैं नि:शुल्क-डा. कालरा
*गैस्ट्रोएंट्रोलोजी विभाग केंद्र के डॉ. प्रवीण मल्होत्रा होंगे इसके इंचार्ज

रोहतक/हरियाणा – नेशनल वायरल हैपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीएचसीपी) के तहत हैपेटाइटिस बी की मुफ्त दवाईंयों का वितरण भारत में शुरू हो गया है और इसी के तहत हरियाणा में भी यह मुफ्त दवाईंयां मरीजों को नि:शुल्क उपलब्ध करवा दी गई हैं। इसकी शुरूआत पंड़ित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ओ.पी. कालरा ने अपने हाथों से बृहस्पतिवार को मरीजों को दवा देकर की।
कुलपति डॉ. ओ.पी. कालरा व डॉ. प्रवीण मल्होत्रा ने इसका सारा श्रेय केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, एसीएस हैल्थ राजीव अरोड़ा, डीजीएचएस डॉ. सूरभान, डिप्टी डायरेक्टर डॉ. उषा गुप्ता, डॉ. अरूण जोशी को दिया।
कुलपति के अनुसार पीजीआईएमएस का गैस्ट्रोएंट्रोलोजी विभाग केंद्र के द्वारा मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर है और डॉ. प्रवीण मल्होत्रा इसके इंचार्ज हैं। यहां पर काले पीलिये के मरीज रोजाना देखे जाते हैं, वहीं एक ही छत के नीचे सारी जांचें व इलाज नि:शुल्क किया जाता है। इसके लिए यहां पर कम्प्यूटर डॉटा एंट्री आप्रेटर सोनल, फार्मासिस्ट शिवानी और हैल्थ काऊंसलर सिकंदर भी अपना योगदान देते हैं।
उन्होंने बताया कि काले पीलिये से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को स्त्री रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. स्मीति नंदा व उनकी टीम की मदद से विशेष ध्यान रखा जाता है। काले पीलिये के वायरस के टेस्ट के लिए माइक्रोलोजी विभागाध्यक्ष डॉ. अर्पणा व डॉ. परमजीत सिंह का काफी सहयोग रहता है।
उन्होंने बताया कि डॉ. प्रवीण मल्होत्रा इस नेशनल प्रोजैक्ट के शिर्ष नेशनल स्क्रीनिंग कमेटी के मनोनीत सदस्य हैं और इसी कमेटी ने इस प्रोजैक्ट की रूपरेखा तैयार की है और समय-समय पर इसकी मानिटरिंग करते हैं। कुलपति ने कहा कि डॉ. प्रवीण की अध्यक्षता में गैस्ट्रोएंट्रोलोजी विभाग मरीजों के हित में बेहतरीन कार्य कर रहा है।
डॉ. प्रवीण मल्होत्रा के अनुसार अब तक हैपेटाइटिस सी का इलाज, हैपेटाइटिस सी की तुलना में ज्यादा लंबा है। हैपेटाइटिस सी का इलाज 12 से 24 हफ्ते तक दिया जाता है परंतु हैपेटाइटिस बी का इलाज जिन मरीजों में लीवर खराब हो चुका है, उसमें पूरी जिंदगी दिया जाता है और जिस पर लीवर पर दबाव शुरूआती दौर में है तो लगभग 2 से 3 साल तक किया जाता है।
उन्होंने बताया कि एक माह का खर्च अब तक इन दवाओं पर मरीजों को प्रतिमाह 1000 से 1500 रूपए तक आता था परंतु अब नि:शुल्क होने से मरीजों को बहुत फायदा होगा। अब तक 4100 मरीज हैपेटाइटिस बी के इस विभाग में सलाह व इलाज करवा रहे हैं।
इस अवसर पर डॉ. वाणी मल्होत्रा, संदीप, नरेश व राजे सिंह उपस्थित थे।

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