हाल स्वास्थ्य विभाग का:नजराना न मिलने पर मासूम को मिली मौत

रायबरेली – उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ भले ही स्वास्थ्य व्यवस्था चुस्त दुरुस्त बनाने के लाख दावे करे पर सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टर व स्टॉफ की खाऊ कमाऊ की नीति के चलते नवजातों को मौत की सजा मिल रही है। एक ऐसा ही मामला रायबरेली से सामने आया है जहां नजराना न देने पर एक प्रसूता के नवजात शिशु को मौत के गाल में सुला दिया।

गोद मे मासूम के शव लिए इन परिजनों को गौर से देखिए। देखिए इस प्रसूता के आँखों के आंसू को ।इसने 9 माह जिस नवजात को अपनी कोख में रखा पर उसको क्या पता कि नजराना न देने के चलते उसके नवजात को अपनी जान देकर चुकानी पड़ेगी।

जानकारी के अनुसार पीड़िता रूबी सरेनी थाना क्षेत्र की रहने वाली है और इसको बीती रात प्रसव पीड़ा हुई और इसके परिजन इसको प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरेनी ले जाया गया जहां रात्रि 1.20 पर पीड़िता को बेटी हुई पर अचानक नवजात की तबियत बिगड़ी तो डॉक्टरों ने इसे जिला अस्पताल रेफर करने को कहा और बकायदा रेफर पेपर भी बना जिसमे टाइमिंग 2.00 am की है पर रेफर पेपर पीड़िता को डॉक्टरों व स्टॉफ ने तब तक नही दिया जब तक उन्होंने परिजनों से नजराना नही ले लिया। ये सब करते हुए 5 से 6 घंटे गुजर गए पर धरती के भगवान को नवजात पर दया नही आई न ही उनका दिल पसीजा सुबह 6 बजे के आस पास जब उनको पैसा मिला तब वह परिजनों को रेफर कागज दिया इसके बाद एम्बुलेन्स आने में भी देरी हुई जिसके चलते नवजात सुबह 8 बजे जिला अस्पताल पहुचे पर तब तक नवजात की मौत हो गई।

वही जिला अस्पताल की एमरजेंसी में तैनात डॉक्टर अतुल पांडे की माने तो नवजात जिला अस्पताल 8 बजे पहुचा था पर तबतक उसकी मौत हो गई वही रेफर कागज के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने भी बताया कि इसको 2 बजे रेफर किया गया पर किन कारणों से कागजात नही दिए गए यह वह नही जानते।

इस मामले को लेकर जब सीएमओ रायबरेली डीके सिंह से बात करने का प्रयास किया गया सेकेंड सटरडे के चलते दफ्तर बंद था। अब सवाल यह कि इतनी मोटी तनख्वाह पाने वाले डॉक्टरों को नजराने की क्या जरूरत।अब देखने वाली बात यह होगी कि ऐसे दोषी डॉक्टरों पर कोई कार्यवाही होती है या नही।

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