देहरादून- खाकी पहनने वाले इंसान में भावनाएं भी हैं, इंसानियत भी है और नेकदिली भी है। जनपद चम्पावत में तैनात महिला कांस्टेबल सविता कोहली समाज के लिए एक प्रेरणा है। उत्तराखंड पुलिस की बनबसा थाने में तैनात ट्रैफिक कांस्टेबल सविता कोहली व्यस्त ड्यूटी पूरी करने के बावजूद हर रोज दो घंटे का समय कूड़ा बीनने वाले बच्चों को पढ़ाने में व्यतीत कर रही हैं। सविता ऐसे बच्चों की मां व शिक्षिका की भूमिका में हैं, जिनके हाथों में कूड़े के थैले थे।
इनमें से कुछ मासूम सविता के ममत्व की छांव में बेहतर भविष्य की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। अधिकांश बच्चों के माता-पिता गरीब होने के साथ-साथ अशिक्षित भी हैं। महिला कांस्टेबल सविता अपनी ड्यूटी के साथ-साथ ऐसे बच्चों को शिक्षित बनाने की व्यक्तिगत पहल में निस्वार्थ भाव व पूर्ण समर्पण से जुटी हैं।
सविता बताती हैं कि जब उनकी ड्यूटी बस स्टेंड के पास लगी थी, इस दौरान छह-सात साल की उम्र के दो बच्चों को उन्होंने कूड़ा बीनते देखा। उनसे पूछा, कि स्कूल क्यों नहीं जाते। बच्चों के चेहरे पर खामोशी देख वो समझ गईं और कहा कि कल से मैं तुम्हें पढ़ाऊंगी। अगले दिन सविता खुद टाट-चटाई, कॉपी, किताब, पेंसिल एवं अन्य स्टेशनरी खरीदकर मीना बाजार झोपड़-पट्टी इलाके में पहुंच गई। यहां बाहर से आकर मजदूरी कर गुजर बसर करने वाले गरीब लोगों के परिवार रहते हैं। गरीबी के साथ-साथ अशिक्षा की वजह से मां-बाप बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे थे। जबकि कुछ परिवार ऐसे थे, जो बच्चों के श्रम से ही घर खर्च चलाते थे। सविता ने इन परिवारों से बात कर उन्हें समझाया और बच्चों को उनकी क्लास में भेजने को कहा। कुछ दिन मशक्कत के बाद सविता उन्हें समझाने में कामयाब हुई। इस तरह बनबसा नगर पंचायत परिसर का खुला मैदान एक पाठशाला में तब्दील हो गया। उसी दिन से ड्यूटी खत्म होने के बाद सविता शिक्षिका का भी दायित्व निभाती आ रही हैं।
रिपोर्ट रजत सिंह देहरादून से