शिव महापुराण कथा के 24 वें दिन बताई रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

आजमगढ़ – सिधारी स्थित श्री गौरीशंकर मंदिर के प्रांगण में चल रहे श्री शिवमहापुराण कथा के 24वें दिन कथा वाचक विजय भारद्वाज ने श्री रामजन्म कथा एवं श्री रामेश्वर ज्योर्तिलिंग कथा का वर्णन किया।उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कथा वाचक विजय भारद्वाज ने कहा कि भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ के यहां हुआ था। भगवान श्रीराम भरत, लक्ष्मण व शत्रुध्न ने वशिष्ट ऋषि के आश्रम में विद्याध्यन किया। ऋषि विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा हेतु अपने आश्रम में ले गये। श्रीराम विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा की, और इसी समय जनकपुर से विश्वामित्र के लिए माता सीता जी के स्वयंवर का न्यौता आया। विश्वामित्र के साथ भगवान श्रीराम व लक्ष्मण भी वहां पहुंंचे। सीता स्वयंवर में कोई शिवधनुष तोड़ नहीं पाया लेकिन श्रीराम ने शिव धनुष भंग किया। इसी दौरान भगवान श्रीराम से सीता का विवाह हुआ। महाराजा जनक ने अयोध्या नरेश दशरथ को निमंत्रण भेजा। वशिष्ट ऋषि भरत, शत्रुध्न व अयोध्या नरेश दशरथ के आने बाद सीता का विवाह सम्पन्न हुआ। उसी समय श्रीराम के राजतिलक की तैयारी होने लगी लेकिन कैकेयी ने अपने पुत्र को राज गद्दी पर बैठाने के लिए राजा दशरथ से श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास और भरत को राजगद्दी देने की मांग किया। इसके बाद भगवान श्रीराम के साथ माता सीता और लक्ष्मण वनवास गये। वनवास के दौरान रावण ने सीता का हरण किया ते प्रभु श्रीराम ने वानरों और हनुमान के साथ लंका पर चढ़ाई की। श्रीराम ने लंका के ऊपर चढ़ाई करने से पहले रामेश्वर भगवान की विजय कामना के लिए रामेश्वर भगवान की स्थापना की गयी और श्रीराम जी को विजय प्राप्त हुआ।

रिपोर्ट-:राकेश वर्मा आजमगढ़

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