बरेली। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में इस साल भी कॉलेज बंद करने पड़े। जैसे तैसे कॉलेजों में पढ़ाई शुरू हो पाई थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण एक बार फिर से कॉलेजों को बंद करना पड़ा। रुहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति ने सभी कॉलेजों के लिए आदेश जारी करते हुए है कि यदि किसी पाठयक्रम में सिलेबस बाकी रह गया है कि तो परीक्षा होने से पहले कॉलेज में सिलेबस को ऑनलाइन मोड पर कराया जाए। शिक्षक घर बैठे वर्क फॉर्म होम ही करेंगे। लेकिन अधिकांश कॉलेजों के शिक्षकों के वीडियों लैक्चर तैयार ही नहीं है। जबकि वीडियों लैक्चर बनाने के लिए पिछले साल ही शासन की ओर से निर्देश आ चुके थे। लेकिन शिक्षकों ने इतने महीने बीतने के बाद भी अपने लैक्चर तैयार नही हुए। ऐसे मे सवाल उठ रहे है कि जब शिक्षकों के लैक्चर वीडियो रिकॉर्डिग हुई ही नहीं तो ऑनलाइन पढ़ाई कैसे करा पाएंगे। सबसे ज्यादा परेशानी मेडिकल और साइंस के स्टूडेंट्स को हो रही है। क्योंकि जून जुलाई में परीक्षा होनी है और परीक्षा से पहले तक बचा हुआ सिलेबस समय पर पूरा कराने की भी जिम्मेदारी है। क्योंकि यदि परीक्षा से पहले सिलेबस समय पर पूरा नहीं हुआ तब भी सैकड़ों छात्र-छात्राओं को परीक्षा में सबसे ज्यादा परेशानी होगी। रुहेलखंड विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों में कितने शिक्षकों ने अपने वीडियो लैक्चर को अपलोड किया है इस बारे में शिक्षकों ने विभाग के इंचार्ज और यूनिवर्सिटी प्रशासन को जानकारी नही दी गई है कि अभी तक कितने शिक्षकों ने विषय से संबंधित कितने वीडियो लैक्चर को तैयार कर स्टूडेंट्स को भेजा है और कितने यूनिवर्सिटी की बेवसाइट पर अपलोड किए है। यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से ये निर्देश पिछले साल ही जारी हो गए थे कि प्रोफेसरों को अपने कठीन टॉपिक को आसान तरीके से पढ़ाने वाली वीडियों को यूनिवर्सिटी की साइंड पर अपलोड करना होगा। जिससे की इनकी वीडियो को देखकर दूसरी यूनिवर्सिटी के स्टूडेंटस भी पढ़ाई कर सके। इन दिनों वीडियों के माध्यम से ऑन लाइन पढ़ाई का क्रेज तेजी से बढ़ा है। यूनिवर्सिटी ने वीडियो लैक्चर बनाने के साथ साथ ये भी निर्देश दिए है कि शिक्षक मुख्य टॉपिक पर यदि वीडियों लैक्चर बनाते है और अपने लैक्चर को बेहतर करने के लिए ग्राफिक्स आदि को नेट से कॉपी करते है तो ये भी जानकारी यूनिवर्सिटी को देनी होगी। जिससे की भविष्य में कोई कॉपी पेस्ट का कोई कॉपीराइट को लेकर कानूनी कार्रवाई न कर सके। क्योंकि ग्राफिक्स आधारित वीडियों का सबसे ज्यादा चलन इंजीनियरिंग और मेडिकल कोर्स में सबसे अधिक होता है। और बिना ग्राफिक्स के छात्र-छात्राओं को आसानी से समझ में आ जाता है। शिक्षकों को अपने टॉपिक पर वीडियो लैक्चर बनाने में किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कैंपस में बने मीडिया सेंटर में आकर अपने लैक्चर अपलोड करने की व्यवस्था की थी। ऐसा इसलिए जिससे की शिक्षकों को कैमरे और जगह के कारण परेशानी न हो। शुरूआत में व्यवस्था देखने केलिए कुछ शिक्षक आए जरुर, लेकिन वीडियो लैक्चर अपलोड ही नहीं किए।।
बरेली से कपिल यादव