यूनिवर्सिटी: कोरोना के नाम पर शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जांच ठप्प

बरेली। महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय में 30 शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जांच होनी है लेकिन कोरोना के नाम पर विभाग ने शिक्षकों के रिकॉर्ड को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। बाबूओ और अधिकारियों ने कोरोना के डर के कारण ऑफिस आना ही छोड़ दिया है। कोरोना के कारण कोई भी अधिकारी किसी की फाइल छूने को तैयार नहीं है। इसी बात का फायदा उठाकर यूनिवर्सिटी के बाबुओं ने बेसिक के शिक्षकों के रिकॉर्ड की जांच को रोक दिया है। बता दें कि कासगंज में महिला फर्जी शिक्षिका अनामिका के पकड़े जाने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया था। बेसिक शिक्षा विभाग ने अपने 30 शिक्षकों के रिकॉर्ड की जांच के लिए रोहिलखंड विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा था। सूत्रों की माने तो जांच होती है तो इसमें कई बाबू भी फंस सकते हैं। इससे पहले भी कई बाबू फर्जी डॉक्यूमेंट बनाते हुए पकड़े जा चुके हैं। ऐसे में जांच होती है तो किसी शिक्षक के रिकॉर्ड फर्जी मिलते हैं तो बाबुओं का फंसना तय है। इसलिए बाबू जानबूझकर जांच में आनाकानी कर रहे हैं। करीब महीने भर पहले बेसिक शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों के डॉक्यूमेंट की जांच के लिए पत्र लिखा लेकिन यूनिवर्सिटी ने जांच यह कहकर शुरू नहीं की कि बीएसए की ओर से शिक्षकों की मार्कशीट नहीं भेजी गई हैं। इसमें भी विभाग को कई दिनों का समय लगा और जब मार्कशीट पहुंचे तो अधिकारी किसी न किसी बहाने जांच को रोके हुए हैं। बता दें कि यूनिवर्सिटी के कई अधिकारियों और बाबुओं के संक्रमित होने के बाद कुलपति ने यूनिवर्सिटी को कई दिनों के लिए बंद कर दिया। लगातार संक्रमित लोगों की संख्या मिलने से घबराए बाबुओं और अधिकारियों ने भी कार्यालय आना छोड़ दिया। आलम यह है कि कैंपस में ही लोगों को क्वारंटाइन कर दिया गया है। ऐसे में ऑफिस बेहद कम ही कर्मचारी आ रहे हैं। बाबुओं ने कैंपस में संक्रमित लोगों को दूसरी जगह क्वारंटाइन करने की मांग की है।।

बरेली से कपिल यादव

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