बिंदकी/ फतेहपुर। जनपद के अनेक नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में वर्तमान समय तालाबों सहित नहरों को पूर्ण रूप से सूखी होने के चलते आवारा पशुओं के साथ-साथ पंछियों को पानी पीने में वर्तमान समय गर्मी के चलते कठिन परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है जो प्यास से व्याकुल होकर गांव व नगर के घरों से निकलने वाले नालियों द्वारा पानी को उस तालाबों में पहुंचे पानी से अपनी प्यास को बुझाने में प्रयासरत है कहीं-कहीं दूर-दूर तक पानी नहीं मिलने से पशु पक्षियों में व्याकुलता समाहित है जिससे उनके प्राण पखेरू होने में भय व्याप्त है। जंगलों में रहने वाले बहुत से पशु पक्षी अपनी प्यास बुझाने हेतु मजबूरन जंगल से निकलकर गांव के किनारे पहुंच प्यास बुझाते हैं। भारतीय राष्ट्रीय पक्षी मोर सहित अनेक प्राणी पानी की तलाश में परेशान है जो ताल तलैया व सूखे नहरो में पानी तक नहीं मिलने से व्याकुलता छाई है। अब ऐसे में किन-किन जिम्मेदारों को दोषी समझा जाए जहां पानी तक की व्यवस्था नहीं है।
वर्तमान पड़ रही भीषण गर्मी की भीषण मार से लोगों का जीना मुश्किल है। यहां तक कि इंसान तो इंसान पक्षी भी बेहाल हैं। राष्ट्रीय पक्षी मोर गांव किनारे आकर गंदा पानी पीने को मजबूर हैं जैसे ही शाम ढलती है राष्ट्रीय पक्षी गांव के किनारे बह रहे नालियों का गन्दा पानी पीने के लिए गांव के अंदर तक घुस आते हैं। ग्रामीण जब अपने जानवरों को खेतों में चराने के लिए ले जाते हैं तो वहां पर स्थित ताल तलैया, नहर व नालियां सूखे पड़े होने की वजह से पशुओं को पीने के पानी हेतु दर-दर भटकना पड़ता है। सूरज की तपिश व कोरोना महामारी के भय से लोग एक तरफ परेशान है वहीं दूसरी ओर पानी की बड़ी किल्लत चल रही है। गांव में लगे हैंडपंपों भी पानी देना भी बंद कर दिया और कुएं तो बहुत वर्ष पहले से ही सूखे है। जिम्मेवार लोग आंख में चश्मा और कान में रुई लगाए जिम्मेदारियों से परे हटकर बैठे हुए हैं। तभी तो पशु पक्षी सहित आम नागरिक भी किसी किसी क्षेत्र में पानी पीने के लिए हाहाकार से व्याकुल है बड़ी-बड़ी बातें करने वाले क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि सहित शासन की जिम्मेदारियों की पोल खोल रही वर्तमान समय नहरों में पानी नहीं है और ताल तलैया भी सूखे पड़े हैं इनमें पानी की जगह खरपतवार या फिर सूखी मिट्टी में बड़ी दरारे देखने को मिल रही है। लोगों की फसलें मूंग और उड़द की तैयार होने से पहले ही सूखने लगी है पर्याप्त बिजली न मिल पाने के कारण लोग अपने खेतों में मौसमी फसल को तैयार करने में भी दिन-रात कड़ी मशक्कत कर रहे हैं।
जिन लोगों के पास समरसेबल की व्यवस्था है वह लोग अपने खेतों पर मूंग उड़द व हरी सब्जी की फसल तैयार कर रहे हैं मगर उनकी लागत तक नहीं निकल पा रही है। इंनसेट में आप देख सकते हैं राष्ट्रीय पक्षी मोर किस तरह से गांव के किनारे पानी के लिए दर-दर भटक रहा है सूखे खेतों पर ढूंढ रहे पानी को पास के खेत में बोई मूग पर किसान ने निजी समरसेबल से लगाय हुए पानी से दर्जनों की तादाद पर पानी पीने पहुंच गए जहां राष्ट्रीय पक्षी मोर पहुंचकर आखिर अपनी प्यास बुझाई।
– फतेहपुर से आरबी निषाद