बैलखेड़ा में एक महीने में जलीं 28 चिताएं, 56 लोग अब भी बीमार: रिकॉर्ड में कोरोना से सिर्फ 3 ही मौत

*पहली लहर में 7500की आबादी वाले इस गांव में कोरोना का एक भी केस नहीं

मध्यप्रदेश/जबलपुर- सरकार देखिए, गांवों के हालात बिगड़ने लगे हैं। जिस गांव में महीने में 3 से 4 मौतें (बुजुर्ग या एक्सीडेंट में) होती थीं जबलपुर के उस बेलखेड़ा गांव में अप्रैल में 28 चिताएं जलाई गईं। सरकारी रिकॉर्ड में कोरोना से यहां सिर्फ तीन मौतें दर्ज हैं और 18 संक्रमित। जबकि गांव में अभी भी 56 लोग बुखार-खांसी से ग्रस्त हैं। यह वही गांव है जहां पहली लहर में एक भी केस नहीं था और अब गांव को ही कंटेंनमेंट बनाना पड़ा। 1735 घरों के साथ 7536 की आबादी वाले इस गांव में एक महीने में 28 की मौत हो चुकी है। यानी औसतन हर रोज एक। यहां एक डॉक्टर के संक्रमित होने के बाद गांव में कोरोना ने पांव पसार लिया है।
ग्रामीणों के अनुसार बेलखेड़ा पीएचसी के डॉक्टर नीलेश श्रीवास्तव अप्रैल के पहले सप्ताह में संक्रमित हुए थे। तबीयत बिगड़ी तब वे अस्पताल में भर्ती हुए। इससे पहले वह लगातार सूई-दवा करते रहे। यह लापरवाही बेलखेड़ा गांव पर भारी पड़ी। वह अब ठीक हो चुके हैं, लेकिन परिवार में बेटा सहित दूसरे लोग संक्रमित हो चुके हैं।
संक्रमण में सिंगल टायलेट सबसे बड़ी समस्या
कोरोना संक्रमित कई लोग घर में ही होम आइसोलेट रहकर स्वस्थ हुए, लेकिन सभी के यहां एक दिक्कत थी शौचालय की। कॉमन शाैचालय होने के चलते लोगों को परेशानी हुई। कुछ ने पड़ोसियों के शौचालय उपयोग किए तो कुछ बाहर निकल गए। अब गांव के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बेलखेड़ा को क्वारैंटाइन सेंटर बनाया गया है। अभी इसे चालू नहीं किया जा सका है।
सरपंच के पति बोले- नहीं देखीं एक के बाद एक 28 मौतें
सरपंच पति मुकेश मेहरा के मुताबिक बेलखेड़ा गांव रोड से लगा हुआ है। पहली बार एक महीने में 28 मौतें देखी हैं। सामान्य दिनों में यहां महीने में एक-दो मौतें ही होती थीं। इसमें भी बुजुर्ग की बीमारी से या फिर एक्सीडेंट से होती थी।
बेटे के सदमे में मां चल बसी
इस गांव में सबसे दुखदाई मौत मां-बेटे की हुई। चार दिन के अंतराल पर मां-बेटे की मौत से गांव में मातम पसरा हुआ है। गांव के हेमंत पाठक (32) को चार दिन पहले बुखार आया और सांस लेने में कठिनाई होने लगी।
परिवार के लोग अस्पताल ले गए। पर वहां पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। इकलौते बेटे के गम में दुखी मां ममता पाठक (68) की भी शुक्रवार को मौत हो गई। परिवार में पिता छिदामी पाठक (70) और उनकी बहू ही बचे हैं, लेकिन दोनों संक्रमित हैं।
पूर्व विधायक के जेठ की भी कोरोना से मौत
बेलखेड़ा में ही पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह का भी पैतृक घर है। तीन दिन पहले उनके परिवार के रिश्ते में जेठ रघुराज सिंह ठाकुर (70) की कोरोना से मौत हो गई। अब उनके घर (हवेली) के बाहर कोविड कंटेनमेंट जोन का पाेस्टर लगाकर प्रवेश निषेध कर दिया गया है।
संक्रमण फैलने के बाद ली सुध
1735 घर वाले बेलखेड़ा गांव में संक्रमण फैलने के बाद प्रशासन ने सुध ली। पहले यहां हर शनिवार को हॉट बाजार लगता था। अब जाकर उस पर रोक लगाई गई है।
कोरोना में लापरवाही न करें, तो जान बच जाएगी
कोरोना संक्रमण से उबर चुके गांव के शरद कुमार भुर्रक के मुताबिक इस बीमारी में घबराएं नहीं। मास्क पहन कर और सोशल डिस्टेंसिंग अपना कर इससे बचा जा सकता है। चिंता न करने से शरीर दुर्बल हो जाता है। सर्दी ठीक होने में तीन दिन लग जाते हैं, लेकिन समय पर इलाज शुरू करा दें तो 24 घंटे की चार खुराक से ही लोग ठीक हो जाते हैं।
हालांकि पांच दिन दवा खाना जरूरी है। बेलखेड़ा में संक्रमण फैलने के बाद भी लोग शटर के नीचे से दुकानदारी कर रहे हैं। यही कारण है कि संक्रमण फैल रहा है। प्रशासन की कड़ाई कहीं नजर नहीं आती है। पिछली बार की टीआई की सख्ती से कोरोना का प्रवेश बेलखेड़ा में नहीं हो पाया था।
मैनें तो 18 दिन में संक्रमण को घर पर ही हरा दिया
बेलखेड़ा पीएचसी में पदस्थ एएनएम दीपिका ठाकुर के मुताबिक मुझे कोई परेशानी नहीं थी। स्वाद व गंद का अहसास नहीं होने पर 18 दिन पहले टेस्ट कराया। पॉजिटिव आने के बाद घर पर ही होम आइसोलेट हो गई थी। 10 दिन तक नियमित दवा खाती रही।
इस दौरान हल्दी मिला दूध व पानी पीने के साथ ही गर्म भांप लेती रही। सुबह एक घंटे रोज प्राणायाम व योग करती थी। खुद को एक कमरे में अलग कर लिया था। अब बिल्कुल ठीक होकर ड्यूटी कर रही हूं। इसी तरह का अनुभव अभय प्रताप सिंह व महिला शिक्षिका अनीता सिंह ने भी सुनाए।
बेलखेड़ा थाना भी संक्रमित
कोरोना का संक्रमण गांव से थाने में भी प्रवेश कर गया है। थाने में पदस्थ एसआई रामसुजान इलाड़ी, एएसआई भोला मरावी व संतोष सिंह और आरक्षक मुनीम ठाकुर की पत्नी संक्रमित हैं। टीआई सुजीत श्रीवास्तव की पत्नी भी अस्वस्थ हैं।
इसी के चलते पुलिस वाले भी सख्ती नहीं कर पा रहे हैं। गांव के राजकिशोर चौधरी ने बताया कि यहां के हालात काफी खराब हैं। सबह-शाम पुलिस एक राउंड लगाकर चली जाती है। इसके बाद पूरे दिन शटर के नीचे से दुकानदारी हो रही है।
संक्रमण रोकने के लिए अब ये कवायद
गांव की सरपंच मनीषा बाई और उनके पति मुकेश मेहरा के मुताबिक संक्रमण रोकने के लिए कई स्तर पर काम किया जा रहा है। बीमार लोगों के घरों में किट पहुंचाया जा रहा है। वहीं बाहर से आने वालों के लिए अब स्कूल में क्वारैंटाइन सेंटर बनाया गया है। वहां एक सप्ताह तक रुकने के बाद ही घर जाने को मिलेगा। सैनिटाइजेशन भी रोज कराया जा रहा है।
बेलखेड़ा कोरोना ग्रुप बनाकर की जा रही मदद
बेलखेड़ा ग्राम पंचायत की प्रभारी सचिव चित्रलेखा ठाकुर के मुताबिक गांव में लोगों की सुविधा के लिए बेलखेड़ा कोरोना नाम से सोशल ग्रुप बनाया गया है। एएनएम को पल्स मीटर दिया गया है। गांव में 17 के लगभग बुजुर्ग हैं। उनकी सेहत पर लगातार नजर रखी जा रही है।
वर्तमान में 56 लोग बुखार सहित दूसरी समस्याओं से परेशान हैं। सभी को दवाओं का किट दिया गया है। वहीं 18 लोग संक्रमित थे, इसमें कई ठीक हो चुके हैं। दवा, किराना, फल व सब्जी की इसी सोशल ग्रुप के माध्यम से ऑर्डर पर होम डिलीवरी की व्यवस्था बनाई गई है।

अभिषेक रजक विशेष संवाददाता जबलपुर

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