बैंकों का बकाया भुगतान करने के बाद ही रबर फैक्ट्री होगी आबाद

बरेली – फतेहगंज पश्चिमी में रबड़ फैक्ट्री की 1300 एकड़ की जमीन पर नए औद्योगिक क्षेत्र बसाने से पहले बैंकों का बकाया चुकता करना होगा। इसके लिए कमिश्नर रणवीर प्रसाद ने अधिकारियों के साथ बैठक की। चर्चा हुई कि एक बार सभी बैंक के बकाए का अंतिम प्रारूप तय किया जाए, ताकि उनके भुगतान को लेकर रणनीति तय हो सके।

केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार द्वारा औद्योगिक विकास विभाग के विशेष सचिव डा. मधु कुमार सामी को तीन से छह महीने में राज्य सरकार के हक में भूमि हस्तांतरित करने को लेकर पत्र लिखने के बाद इस मामले में तेजी आई है। रबड़ फैक्ट्री के कर्मचारियों ने केंद्रीय मंत्री से मुलाकात करके इस जमीन पर उद्योग लगवाने की गुजारिश की थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने 1950 में मुंबई के सेठ किलाचंद को 17 सौ एकड़ जमीन सशर्त लीज पर दी थी। इस जमीन पर रबर फैक्ट्री सिथेटिक्स एंड केमिकल्स के नाम से शुरू हुई जो करीब चार दशक तक चली। यह फैक्ट्री औद्योगिक विवादों की वजह से 15 जुलाई 1999 को बंद हो गई। उस वक्त 1370 कर्मचारी कार्यरत थे। फैक्ट्री पर उसके कर्मचारियों और बैंक की देनदारियां 500 करोड़ रुपये तक पहुंच गईं। अब इन्हीं देनदारियों को पूरा करने के लिए प्रशासन जोर लगा रहा है। विकल्प है कि निवेशक जो पूंजी अपने साथ लाएंगे, उसी से देनदारियों को पूरा किया जाएगा।

बरेली से संवाददाता डॉक्टर मुदित प्रताप सिंह की रिपोर्ट

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