उत्तराखंड/पौड़ी गढ़वाल- रिखणीखाल क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम सभा अंदरगाँव मे बड़ियार गाँव के नाम से एक 4 बिस्तर का स्वास्थय केंद्र है जिस का निर्माण 1965 के दसक में हुआ था। बहुत समय से जीर्णशीर्ण हो चुके भवन के पुनर्निर्माण की बातें चल रही थी। स्वास्थ सेवा में आ रही बाधा को दूर करने के लिए क्षेत्रीय लोगों ने अनेकों आंदोलन किये आखिरी वर्ष 2016 में भवन के पुनर्निर्माण के आदेश दे दिये गए है। भवन निर्माण की कुल लागत तय हुई 81 लाख और भवन के निर्माण की अवधि तय हुई 1 वर्ष। मगर आज भी भवन का कार्य 25% बाकी है जब कि तय समय सीमा के 2 साल गुजर चुके है मार्च 2016 से आज अगस्त 2018 के समय बीत चुका है। गौरतलब है कि क्षेत्र में स्वास्थय केंद्र के नाम पर अन्य कोई विकल्प नही है। स्वास्थ्य केंद्र रिखणीखाल जो 25 बिस्तर का हॉस्पिटल है उस में न कोई डॉ है न टेक्नीशियन न औजार न कोई दवाईयां।
क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का आलम यह है कि रिखणीखाल के बाद पहला स्वास्थ्य केंद्र 100km दूर कोटद्वार में है। हाल के दिनों में रिखणीखाल में कुछ घटनाएं हुई है जैसे प्रेम सिंह रावत ग्राम डाबराड़ वालों की अचानक तबीयत बिगड़ी और 108 सेवा ने गाँव तक जाने में असमर्थता जताई जिस वजह से उन की 4 घण्टे में मृत्य हो गई।ग्राम सभा डिंड में 34 साल के युवा पदमेंद्र कण्डारी पुत्र शंकर सिंह की अचानक रात को तबियत बिगड़ी उन के उपचार के लिए प्रिंस से कोटड़ी सैंण में प्राइवेट डिस्पेंसरी ले जाया गया मगर उन को भी नही बचाया गया। ग्राम भँयासु में महिला की प्रसव पीड़ा में स्वास्थ्य केंद्र लाया गया मगर कर्मचारी न होने की वजह से चतुर्थ श्रेणी की महिला ने प्रसव कराने की कोशिश की गई मगर सफलता नही मिली 7 घण्टे बाद आखिर महिला को कोटद्वार ले जाने की सोची मगर ढाबखाल के नजदीक महिला ने बच्चे को जन्म दिया जो मृत पैदा हुआ। ग्राम नावे तल्ली में 14 साल की लड़की निकिता पुत्री गुड्डा रावत का 5 जुलाई 2018 को रात अचानक तबियत खराब हुई लड़की 5 घण्टे तड़पती रही आखिर उपचार न मिलने से लड़की की मृत्य हो गई। हाल के दिनों में जुलाई में गाडियों पुल में ट्रैक्टर ट्रॉली पलट गई जिस में 7 मजदूरों को चोट आई स्वास्थ्य सेवा समय पर न मिलने से 3 मजदूरों की मृत्य हो गई। यह बदहाली है क्षेत्र की कौन जिम्मेदार है इस तरह की स्वास्थ्य सेवा के लिए।
स्वास्थ्य केंद्र बड़ियार का निर्माण कार्य देख रहे ठेकेदार तपेन्द्र सिंह चौधरी (दिल्ली) वालों से जब हमने बात की तो उन की दलील है कि निर्माण कार्य के लिए धन नही मिल रहा है। और जब यही बात एक्सेन हितेश कुमार व जेई जगमोहन रावत से बात हुई तो उन का कहना है कि ठेकेदार के काम में गुणवत्ता नही है इस लिए आगे के निर्माण कार्य में बाधा आ रही है। 81 लाख की लागत वाले हॉस्पिटल में मात्र 41 लाख का फंड बाकी रह चुका है विभागीय अधिकारियों व ठेकेदारों के बीच फंसा यह मामला कितने लोगों की जान लेगा यह भगवान जाने। इस कार्य योजना में प्रवेश (हरिद्वार) व तपेन्द्र सिंह चौधरी (दिल्ली) साझा ठेकेदार है मगर प्रवेश ठेकेदार का कोई अता पता नही है। क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों को 4 महीने से कोई दिहाडी नही मिली है करीब हर मजदूर का 25 हज़ार रुपये फंसे है महिला कर्मियों को भी कोई दिहाडी नही मिली है। क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा की बदहाली पर यह भी एक काला अध्याय है।
आभार : देवेश आदमी
-इंद्रजीत सिंह असवाल,उत्तराखंड