पांच हजार रुपए के लिए पांच घंटे तक नर्सों ने रोकी महिला की डिलेवरी: नवजात की पेट में फंसने से मौत

मध्यप्रदेश/ तेन्दूखेड़ा – तेन्दूखेड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मंगलवार की रात नर्सों की बड़ी लापरवाही सामने आई है डिलेवरी के लिए परिजनों द्वारा नर्सों को पांच हजार रुपए न देने पर एक नवजात शिशु की मौत हो गई परेशानी की बात यह रही कि नर्सों ने पहले पांच हजार रुपए में डिलेवरी कराने का ठेका लिया था मगर जब रुपए का इंतजाम नहीं हुआ तो महिला को रैफर कर दिया मगर इस बीच करीब पांच घंटे का समय लग गया।ब्लाक और महिला को दर्द होने लगा इस बीच शिशु आधा बाहर आया और फंस गया कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई मामले की सूचना कलेक्टर नीरज कुमार को मिलने पर उन्होंने तुरंत ही तेन्दूखेड़ा एसडीएम नारायण सिंह को मौके पर भेजा उन्होंने जांच में नर्सों द्वारा रुपए मांगने की बात सही बताई है इससे पहले महिला के जेठ सरजू व सास ने बताया कि वे बहू की डिलेवरी करवाने के लिए तेन्दूखेड़ा आए थे यहां पर वंदना बेन और रैकवार नामक नर्स ने पांच हजार रुपए में डिलेवरी कराने का ठेका लिया था रुपए नहीं होने पर नगर के प्रकाश चौबे के यहां पर उधार लेने पहुंचा तो इस बीच हंगामा हो गया अस्पताल से महिला को मेडिकल कॉलेज जबलपुर रैफर कर दिया इस कारण समय पर प्रसव न होने पर नवजात शिशु की जान चली गई।
दमोह कलेक्टर को सूचना मिलने पर एसडीएम को भेजा जांच में पकड़ी सच्चाई:-
आनन फानन में एसडीएम नारायण सिंह को अस्पताल पहुचना पड़ा और परिजनों के बयान लिए जिसमें इस बात की पुष्टि हुई एसडीएम ने बताया कि ग्राम शिवलाल खमरिया निवासी गर्भवती महिला साधना पति सुरेश रैकवार 25 को प्रसव पीड़ा के चलते सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था जहां पर डिलेवरी कराने के नाम पर पैसे मांगे गए सभी के बयान लिए गए हैं पूरी जांच का प्रतिवेदन कलेक्टर के सामने पेश किया जाएगा
गर्भवती महिला की सास बोली 4500रुपए में बात बनी थी:-
गर्भवती महिला की सास ने बताया कि वह गरीब परिवार की होने के कारण बड़ी राशि उसके पास नहीं थी पैसे की व्यवस्था के लिए अपने ही ग्राम के तेन्दूखेड़ा में निवास करने वाले परिचय के पास जाकर अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा मांगे गए पैसे की स्थिति बताई लेकिन परिचित से भी इतनी राशि की व्यवस्था नहीं हो पाई इस बीच भर्ती बहू साधना के पेट से नवजात शिशु का आधा शरीर पेट में ही था इसके बावजूद भी पैसे नहीं मिलने पर नर्सों ने उसे मेडिकल के लिए रैफर कर दिया
नर्सों द्वारा हमेशा मांगे जाते हैं पैसे:-
वहीं लोगों द्वारा बताया जाता है कि हमेशा किसी भी गरीब परिवार की महिमा की डिलेवरी होने हो तो यहां की नर्सों द्वारा पैसे की मांग की जाती है जब वहीं पैसे देने से माना करती है तो डिलेवरी ना होने की बात कहते हैं।
नर्सों का पैसे कमाने का धंधा बन चुका है यहां पर पहले भी ऐसी घटना हो चुकी हैं 2 साल पहले भी एक शिशु की मौत को जेकी पर अधिकारियों द्वारा कभी भी कार्रवाई नहीं की जाती है इसलिए नर्सों के हौसले बुलंद हैं।
आधा शरीर बाहर निकलने के बाद भी रैफर कर दिया:-
हैरानी की बात तो यह है कि अस्पताल प्रबंधन ने महिला को ऐसी हालत में भी जबलपुर रैफर कर दिया गया जब उसके पेट से नवजात शिशु का आधा शरीर पेट के अंदर ही था महिला की सास ज्ञानबाई ने बताया कि समय पर प्रसव न होने के कारण तेन्दूखेड़ा अस्पताल में ही मासूम बच्चे की जान चली गई इसके बावजूद भी यंहा पदस्थ नर्सों द्वारा अस्पताल में प्रसव नहीं कराया गया जिससे महिला की जान भी खतरे में बनी हुई है एसडीएम नारायण सिंह ने महिला के जेठ सरजू रैकवार के बयान लेकर पंचनामा बनाया है
सबसे बड़ी बात यह है किसी को भी कर देते हैं रैफर:-
अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों की सबसे बड़ी बात तो यह है की किसी भी मरीज को इलाज की ना होने के पहले ही उससे रैफर कर दिया जाता है जब भी यहां पर किसी भी घटना का केस आता है तो उसे इलाज की बजाये उसे तुरंत रैफर कर देते हैं नगर के लोगों का मानना है की यहां पर पदस्थ डॉक्टरों की हमेशा मनमानी चलती है एवं कभी भी किसी भी मरीज से ठीक से बात भी नहीं करते हैं नगर के लोगों द्वारा नर्सों पर मनमानी करने के आरोप लगाये गए हैं लोगों का माना है कि उच्च अधिकारियों द्वारा इन पर कभी भी कोर्इ कार्रवाई नहीं की जाती है इसीलिए इनके हौसले इतने बुलंद हैं।
*इनका कहना* महिला की स्थिति ठीक नहीं थी जिससे उसे जबलपुर मेडिकल कॉलेज रैफर किया गया है स्टॉफ ने पैसे मांगने की बात से इंकार किया है

डॉ बीपी अहिरवार सीबीएमओ तेन्दूखेड़ा

इनका कहना:- मैं स्वयं अस्पताल गया था जहां पर परिजनों द्वारा अस्पताल में पदस्थ नर्स स्टॉफ द्वारा डिलेवरी के नाम पर पैसों मांगने की बात कही गई है पूरे मामले की जांच कराई जा रही है इसके बाद वैधानिक कार्रवाई की जाएगी

नारायण सिंह ठाकुर एसडीएम तेन्दूखेड़ा

– विशाल रजक मध्यप्रदेश

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