फतेहगंज पश्चिमी, बरेली। चिकित्सकों का मानना है कि बच्चे और बुजुर्ग आसानी से कोरोना संक्रमण के शिकार बन रहे हैं। सरकार ने भी बच्चे और बुजुर्गों को सड़क पर घूमने पर पाबंदी लगा रखी है। कुछ समझदार अभिभावक ऐसे हैं जो कोरोना के डर से बच्चों को स्कूल तो नहीं भेजना चाहते मगर सड़कों पर बच्चों को घुमाते वक्त वह बच्चों की परवाह भूल जाते हैं। वहीं कुछ बुजुर्ग ऐसे हैं जिन्हें न तो अपनी और न ही अपनों की चिंता है। ऐसे बुजुर्ग भी लाख समझाने पर घरों से बाहर घूमते देखे जा सकते हैं। जिले में कोरोना का सामुदायिक संक्रमण तेजी से फैल रहा है। वही करीब चार दर्जन लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। कोविड-19 के तहत सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन में बच्चों और बुजुर्गों में संक्रमण फैलने का ज्यादा खतरा बताया गया है। इसके लिए अनलॉक के बाद भी बच्चों और 65 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों के घर से बाहर घूमने पर पाबंदी है। इस पाबंदी को पुलिस ने काफी हद तक लागू कराने की कोशिश भी की। मगर लोग मानने को तैयार नहीं है। कम पढ़े लिखे लोग ही नही समझदार लोग भी गाइडलाइन का उल्लंघन कर रहे हैं। ऐसे में तमाम समझदार लोगों को सड़कों पर अपने बच्चों को घुमाते देखा जा सकता है। यही नहीं ऐसे लोग खुद भले ही मास्क की अनिवार्यता का पालन कर रहे हो। मगर बाजार में बच्चों को मास्क पहनाने की परवाह नहीं करते। ऐसे समझदार अभिभावकों का कहना होता है कि मास्क पहनकर बच्चों को सांस की तकलीफ होती है। ऐसे में सवाल उठता है ऐसे में बच्चों को रिस्क में डालने की जरूरत ही क्या है।।
बरेली से कपिल यादव