विंध्याचल- काश की यही सक्रियता गंदे पानी को साफ सफाई में लगाते तो कितना अच्छा होता।
नमामि गंगे की सभी उद्देश्य ध्वस्त है मात्र कागजी और बैनर,पोस्टरों को सजाया जा रहा है।विन्ध्याचल के सभी नाले माँ गंगा के पवित्र व पवन जल में मिलाया गया है।
गंगा सफाई की जनजागरूकता के लिए गंगा घाटों पर कोई बैनर,फ्लैक्स नही लगाए गए है जिसको पढ़कर कुछ भक्तों को जागरूक किया जा सके कि माँ गंगा में मैल नही पाप धुले।माँ गंगा दर्शन ही गंगा स्नान है।
माँ गंगा के पवित्रता को बनाएं रखने के लिए कृपया कोई अपमार्जक सामग्री माँ गंगा के निर्मल जल में ना प्रवाहित करें।
दातुन करके दातुन का अवशेष माँ गंगा के पवित्र जल में न फेंके।
साबुन शैम्पू का प्रयोग कृपया मां गंगा के पवित्र जल में ना करें।
माँ गंगा के पवित्र जल की निर्मलता को बनाये रखने के लिए कृपया जूता चप्पल माँ के जल से दूर रखें।
माँ के पवित्रता को बनाये रखने के लिए जो नियम व कानून बनाये गए है उनके बारे में जानकारी बैनर,फ्लैक्स के माध्यम से दिया जाता और जो भी कानून पारित किए गए है उनको कड़ाई के साथ लागू किया गया होता तो आज गंगा घाट की तस्वीर कुछ और होता।
यदि यह पहल किया गया होता घाट घाट पर तो लोगों को अच्छा संदेश मिलता और लोग यहां से यह संदेश लेकर जाते की भैया वहां माँ गंगा की सफाई को लेकर शासन और प्रशासन बड़ी तगड़ी नियम लागू किया है हमें सोच समझकर माँ गंगा के निर्मल जल का प्रयोग करना चाहिए।
पर क्या करें आलाधिकारियों को तो बैनर,पोस्टर अच्छे लगते है और शायद उनको लगता है कि इससे ही मां गंगा स्वच्छ हो जाये।
रिपोर्ट-:रामलाल साहनी विंध्याचल