बिहार – बगहा छेत्र के लगभग इलाको में रिमझिम मौसम और ठंडी बयार ने आज जेठ माह को विदा कर दिया। उस जेठ माह को, जो गर्मी के लिए जाना जाता है। उसे, जिसकी पहचान लू से है। आज तड़के से ही आसमान मेँ बादलों ने आना शुरू कर दिया था। फिर धीरे धीरे हल्की हल्की बूंद पड़ने लगी। ये हल्की बूंद फिर रिमझिम मेँ बदल गई। ये रिमझिमल लगातार होती रही। इस रिमझिम ने मौसम को ऐसा बना दिया जैसे जेठ माह के बाद आषाढ़ के स्थान पर सावन शुरू हो गया हो। रिमझिम के बीच मंद मंद मुस्कुराती हुई सी हवा ने शहर एवं देहात के इलाकों को तो निखारा ही वनस्पति को भी नहला दिया। रिमझिम मेँ नहाये हुए छोटे से पौधे से लेकर बड़े बड़े पेड़ खिलखिलाते दिखाई दिये। रिमझिम ने एक एक पत्ते पर अपने स्नेह की वर्षा की थी। एक तो जेठ माह की विदाई और ऊपर से रिमझिम, सभी ने ऐसे मतवाले मौसम का स्वागत किया। कई दिनों के बाद आए ऐसे मौसम ने सभी को सुकून प्रदान किया। ये ठीक है कि आने जाने वालों को थोड़ी परेशानी हुई, परंतु मौसम के आनंद के सामने वह परेशानी मामूली थी। रिमझिम के कारण बाज़ारों मेँ रौनक देरी से शुरू हुई। सफाई व्यवस्था पर असर पड़ा। नालियों मेँ बरसाती पानी और जमा हो गया। इसके बावजूद हर ओर यह रिमझिम आनंद देती महसूस हुई। रिमझिम का असर जाता रहा। बरसात के बाद सूरज की चमकार गरम थी। उमस भी असर दिखाने लगी। हां, उस जेठमाह से छुटकारा एक बार तो मिल गया, जो सबसे गरम माना जाता है। ऐसे मौसम के बावजूद बिजली सामान्य रहे ये संभव नहीं। बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई, वह भी कई घंटे तक। आसमान मेँ छितराए बादल संकेत दे रहे थे कि सूरज दिखाई देगा। किसानो में खुशियां देखने को मिली।
– राजू शर्मा की रिपोर्ट