जर्जर सड़क से ग्रामीण परेशान: जब किसी ने नही सुनी, तो ग्रामीणों ने उठा ली कुदाल

बिहार -प.चम्पारण जिला के लौरिया प्रखंड सतवरिया पंचायत के गांव में सरकार और विभाग ने नहीं की पहल तो ग्रामीणों ने कुदाल उठा ली। स्वतंत्रता सेनानी पंडित राजकुमार शुक्ल का यह गांव है। लोगों की माने तो प.राजकुमार शुक्ल की यह कर्मभूमि है। इस गांव में कुल लगभग 7,000 के बीच आबादी निवास करती है। इस गांव के लिए एक ही मुख्य सड़क है। इस सड़क से होकर सिंहपुर, भभटा, सोममगढ़ पांचायतों के दर्जनों गांव के लोग जिला मुख्यालय प्रतिदिन आते जाते हैं। आलम यह है कि बरसात हो या नहीं हो, मुख्य पथ पर गड्ढे ही गड्ढे और पानी में तब्दील इस सड़क से होकर के प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग आने जाने को विवश है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इसकी सूचना लगातार जिले के आला अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक बताने का कार्य ग्रामीणों के द्वारा बार-बार किया गया है, चाहें वो बीजेपी ,विधायक विनय बिहार हो या मौजूदा बीजेपी सांसद सतीश चंद्र दूबे। फिर भी किसी ने इस गांव की सड़क की सुधि नहीं ली और ना ही किसी ने अपने शक्ल दिखाई। बीजेपी विधायक और सांसद बरसाती मेढ़क हो चूके है। चुनाव के वक्त दिखते तो है पर जैसे ही चुनाव खत्म हुआ ये भी लुप्त हो जाते है। लोगों में गुस्सा बहुत था जनप्रतिनिधियों के प्रति। लोगों ने यहां तक बोल दिया की इसबार हम वोट देंगे ही नही। हर साल नेता आते है और एक भरोसा कायम करते है और जीत जाने के बाद दर्शन तो दूर फोन तक नही उठाते है। जब गांव के मुखिया राजकिशोर सिंह से संपर्क करने की कोशिश की पर मुखिया जी ने फोन ही नही उठा। लोगों का कहना की यह पंचायत दो गांवों को मिलाकर बना है। पंचायत के मुखिया राजकिशोर सिंह सतवरिया सिंहपुर से के है तो इस गांव में आते ही नही है। लोगों की माने तो अप्रैल 2017 में चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह मनाया गया। जिसमें जिले के पूर्व जिला अधिकारी ने इस गांव की समस्याओं को देखने का काम किया साथ ही जर्जर सड़क, नाली देख अपने अधिकारियों को अविलंब सड़क को बनवाने का आदेश दिए। मगर उनके जाने के बाद आज तक किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधियों ने दोबारा इस गांव के लोगों की परेशानियों को देखने का कार्य नहीं किया। गांव के लोगों ने जब देखा की उनकी सुनने वाला कोई नही है तो खुद ही बेड़ा उठा लिया। जिसके बाद पूर्व मुखिया रामबिनोद ठाकुर, वर्तमान सरपंच पति धनंजय दुबे, नवमी पासवान सहित ग्रामीणों ने ठान लिया कि अब न सांसद, ना विधायक और ना किसी पंचायतप्रतिनिधियों के भरोसे रहेंगे। बल्कि इस सड़क को हम ग्रामीण अपने जन सहयोग से ईंट मिट्टी भर कर सड़क को चलने के लायक बनायेगे। ताकि हमारे बच्चे पढ़ने जाते समय सड़क के गड्ढों में गिरे नहीं या कोई मरीज रास्ते के अभाव में घर में मरे नहीं।
– राजू शर्मा की रिपोर्ट

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