चाँदी के सिक्कों के साथ बाजार में हो रही धोखाधड़ी:नहीं है ग्राहकों को असली नकली की पहचान

बरेली- धनतेरस व दीपावली पर्व पर शुभ माना जाने वाला चाँदी के सिक्कों की क्या है सच्चाई जानने के लिए बाजार में अंतिम विकल्प न्यूज़ ने ग्राहकों से बातचीत की तब यह सच्चाई सामने आयी कि दरअसल ग्राहकों को चांदी के सिक्कों के असली नकली होने की पहचान ही नहीं है ।

जानकारी के अनुसार धनतेरस और दीपावली शुभ पर्व पर चाँदी या चाँदी का सिक्का खरीदना हिन्दू धर्म में बहुत ही शुभ माना गया है और इनकी पूजा भी होती है।लेकिन ये चाँदी के सिक्के कितने असली और कितने नकली है इसका अंदाजा ग्राहकों को नही पता, जब इसकी पड़ताल करने निकली टीम तो नतीजा चौका देने वाला निकला।ग्राहक चांदी की चमक देख कर उसकी शुद्धता नापते है जबकि नया और चमकदार दिखने वाला हर सिक्का असली नही होता।
पुराने सिक्को का प्रचलन राजा महाराजा के जमाने में थी उसी सिक्को के नाम पर नए निर्मित सिक्को की खरीद फरोख्त जारी है जिसमें ग्राहक से जबरदस्त रकम वसूली जाती है।नये सिक्को में भी कम प्रतिशत वाले सिक्के धकेल दिए जाते हैं।
पुरानी चाँदी के सिक्कों को दुकानदार उसके मूल भाव से अधिक रकम वसूल कर बेचते हैं जिसका पहचान करना आम आदमी को बहुत ही मुश्किल भरा काम है।पुरानी चाँदी के सिक्कों का वजन 11.664 मिली ग्राम होता है। और कालाबाजारी करने वाले इसी वजन का उसी रूप में बना कर बड़े मात्रा में बेचते हैं।
पुराने सिक्को की पहचान:-

पुराने सिक्को की पहचान वैसे तो एक जौहरी ही कर पायेगा,लेकिन आपकी समझदारी से हो सकता है कि आप ठगे न जाये।सिक्का खरीदने के पूर्व किसी विश्वसनीय व्यवसाई से ही खरीदे और सिक्को को भली-भांति वजन और उसके बनावट पर गौर करें।पुराने सिक्के घिसे हुए और चमकदार बिल्कुल भी नहीं होते।

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