गूंज उठी काशी हनुमान के जयकारों से ! हनुमान जयंती पर निकली हनुमान ध्वजा यात्रा

वाराणसी। प्रभु श्री राम के भक्त, संकट मोचन, महावीर, बजरंग बलि हनुमान की महिमा सबसे न्यारी हैं। सूरज को निगलना, पर्वत को उठाकर उड़ना, रावण की सोने की लंका को फूंकना कितने ही ऐसे असंभव लगने वाले कार्य हैं जिन्हें श्री हनुमान ने कर दिखाया। माता अंजनी के लाल और पिता पवन के पुत्र वीर हनुमान का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार यह तिथि इस वर्ष 31 मार्च को पड़ा।
इस अवसर पर बनारस के तमाम छोटे बड़े शहरों से हनुमान ध्वजा यात्रा एवं विशाल विशाल जुलूस और तरह-तरह की झांकियां निकाला गया और इसी बीच जय भारत मंच के मीडिया प्रभारी आलोक कुमार मल्लिक द्वारा हनुमान जयंती के अवसर पर जोलहा वार्ड से हनुमान ध्वजा यात्रा निकाली गई ।
यह यात्रा किरहिया, सरायनन्दन, दशमी, सुन्दरपुर, नगवां, लंका होते हुए संकटमोचन जाकर समाप्त हुई। जिसमें 151 ध्वजा और बाजे गाजे के साथ एक बड़ी आकृति वाली हनुमान गदा लेकर श्री राम का जयकारा एवं राम भक्त हनुमान के जयकारे के साथ संकट मोचन मंदिर प्रांगण में पहुंचे भगवान को प्रसाद चढ़ा कर आरती पूजन कर इस यात्रा को विराम दिया ।

*आइये जानते हैं पवन पुत्र हनुमान के बारे में।*

क्या है हनुमान की जन्म कथा
हनुमान जी का जन्म वैसे तो दो तिथियों में मनाया जाता है पहला चैत्र माह की पूर्णिमा को तो दूसरी तिथि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। पौराणिक ग्रंथों में भी दोनों तिथियों का उल्लेख मिलता है लेकिन एक तिथि को जन्मदिवस के रुप में तो दूसरी को विजय अभिनन्दन महोत्सव के रुप में मनाया जाता है। उनकी जयंती को लेकर दो कथाएं भी प्रचलित है।

*चैत्र माह की पूर्णिमा को जन्मे हनुमान*

माना जाता है माता अंजनी के उदर से हनुमान जी पैदा हुए। उन्हें बड़ी जोर की भूख लगी हुई थी इसलिये वे जन्म लेने के तुरंत बाद आकाश में उछले और सूर्य को फल समझ खाने की ओर दौड़े उसी दिन राहू भी सूर्य को अपना ग्रास बनाने के लिये आया हुआ था लेकिन हनुमान जी को देखकर उन्होंने इसे दूसरा राहु समझ लिया। तभी इंद्र ने पवनपुत्र पर वज्र से प्रहार किया जिससे उनकी ठोड़ी पर चोट लगी व उसमें टेढ़ापन आ गया इसी कारण उनका नाम भी हनुमान पड़ा। इस दिन चैत्र माह की पूर्णिमा होने से इस तिथि को हनुमान जयंती के रुप में मनाया जाता है।
दीपावली को भी मनाई जाती है हनुमान जयंती
वहीं दूसरी कथा माता सीता से हनुमान को मिले अमरता के वरदान से जुड़ी है। हुआं यूं कि एक बार माता सीता अपनी मांग में सिंदूर लगा रही थी तो हनुमान जी को यह देखकर जिज्ञासा जागी कि माता ऐसा क्यों कर रही हैं। उनसे अपनी शंका को रोका न गया और माता से पूछ बैठे कि माता आप अपनी मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं। माता सीता ने कहा कि इससे मेरे स्वामी श्री राम की आयु और सौभाग्य में वृद्धि होती है। रामभक्त हनुमान ने सोचा जब माता सीता के चुटकी भर सिंदूर लगाने से प्रभु श्री राम का सौभाग्य और आयु बढ़ती है तो क्यों न पूरे शरीर पर ही सिंदूर लगाने लगूं। उन्होंने ऐसा ही किया इसके बाद माता सीता ने उनकी भक्ति और समर्पण को देखकर महावीर हनुमान को अमरता का वरदान दिया। माना जाता है कि यह दिन दीपावली का दिन था। इसलिये इस दिन को भी हनुमान जयंती के रुप में मनाया जाता है। सिंदूर चढ़ाने से बजरंग बलि के प्रसन्न होने का भी यही रहस्य है।
हनुमान ध्वजा यात्रा में शामिल मुख्य रूप से रामदयाल प्रजापति,अशोक सेठ,आलोक कुमार मल्लिक, अभिषेक श्रीवास्तव, संजीव श्रीवास्तव, हिमांशु, आराध्य, संजय यादव, अमित, दीपक, सोनू, आदि सैकड़ों भक्तगण उपस्थित रहे।

रिपोर्ट महेश कुमार राय वाराणसी सिटी।

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