उत्तराखंड – जनपद पाैडी गढ़वाल कॉर्बेट पार्क के बीचोंबीच अवस्थित रिखणीखाल विकास खंड का सीमांत गांव तैडिया (जो ग्राम सभा कांडा का अभिन्न अंग है )के वर्ष १९७२ कॉर्बेट पार्क घोषित होने के बाद से अन्यत्र विस्थापित किये जाने की सुगबुगाहट तो हुयी लेकिन आज तक भी इस कुलावे की इंतजारी में पथरा गयी है।
गौरतलब है कि इस राजस्व ग्राम को विस्थापित किये जाने के बावत उत्तर प्रदेश सरकार के बाद उत्तराखण्ड की छ: सरकारें भी थक चुकी हैं ।यह भी कारण रहा कि १९९८ में वन विभाग ने स्वयं सहमति ग्रामीणों को गांव आने पर दी थी गांववाले भी कुछ शर्तानुसार सहमत हुये लेकिन पृथक राज्य घोषित होने व कैबिनेट द्वारा विशेष तरजीह न मिलने से अब तक पकता ही जा रहा है..२००६/२००९/२०१३ में तीन बार जमीन भी दिखायी गयी वह भी नाकाफी रही।२०१८ में बारबार पत्राचार के बाद शासन की बैठक में निर्णय लिया गया कि एनटीसीए की गाइडलाइन के मुताबिक होगा ।इस पर ग्रामीण व वनविभाग अधि.व विधायक के समक्ष हुयी वार्ता में ग्रामीणों ने विकल्प दो पर सहमति दी है ।अभी शासन / सरकार द्वारा अध्ययन जारी है ।जहां एक तरफ आधुनिकीकरण डिजिटलाइजेशन की बयार देश भर में चल रही है वहीं गांव आज भी विकट परिस्थितियों से जूझता ही रहा ।गांव की इन्हीं विडंबनाओं ने चल भाग की प्रवृत्ति उपजाकर व वन कानूनों की जटिलताओं से खिन्न व त्रस्त हैं ।आज गांव में सड़क, स्वास्थ्य, पेयजल, संचार ,विद्युत ,खेती ,पशुपालन प्राथमिक उपचार ,शिक्षा की जगह लाचारी व मजबूरी ने घर कर दिया है। सब सुविधाओं से वंचित ग्रामीण आज खेती का मोह भी छोड़ चुके हैं ।कभी वनों पर आधारित ग्रामीणों की जीवन शैली को आज वन कानून ही जी का जंजाल बने हैं हालत यह है कि शासन व सरकारों के विस्थापन बहकावे ने मुख्यपेशे से भी विमुख कराया।गांव में वर्तमान में चालीस परिवार रह रहे हैं ,बड़े खेतीयुक्त भूभाग ख्यूणीख्यात , कंदरण ,ज्यठनूं ,भैंसाडाबर ,सकिन्यूंमळा,उमराखोली,भल्याढौंर ,डांड में कुरी रौदड़्या गाजर घास ने कब्जा कर लिया है स्वयं ग्रामीण इन खेतों में जाने की कोशिश भी करें तोसहम कर रह जाते हैं। कोटद्वार धुमाकोट मार्ग से पांच किमी. पूरब दिशा में अंदर स्थित पार्क के बीच स्थित गांव के बाद रामगंगा परि. का दृश्य व बिजनौर व उधमसिंहनगर की सीमा दिखती है।अपर सचिव वन डॉ.धीरज पांडे का कहना है कि विस्थापन संबंध में अग्रिम कार्रवाई चल रही है शीघ्र वार्ता कर समाधान किया जायेगा।
साभार- डॉ.ए.पी.ध्यानी ,अध्यक्ष,विस्थापन् एवं पुनर्वास संघर्ष समिति तैड़िया
पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल की रिपोर्ट