- ठकराहा, बैरिया, मझौलिया, गौनाहा, बेतिया, सिकटा में हो रहा है छिड़काव
- प्रभावित 24 गांवों में होना है कालाजार की दवा का छिड़काव
बेतिया/बिहार- जिले को कालाजार से मुक्त करने को लेकर 6 प्रखंडों यथा ,ठकराहा, बैरिया, मझौलिया, गौनाहा, बेतिया, सिकटा में कीटनाशक दवा का छिड़काव अभियान शुरू है । इन प्रखंडों में प्रशिक्षित छिड़काव दल कर्मियों द्वारा छिड़काव किया जा रहा है। ताकि उस क्षेत्र को कालाजार से मुक्त किया जा सके । भीबीडीएस सुजीत कुमार व केयर इंडिया प्रतिनिधि श्याम सुंदर कुमार ने बताया प्रथम चक्र का छिड़काव अभियान 60 दिनों तक चलेगा। इस दौरान कालाजार प्रभावित 24 गांवों में एक भी घर छिड़काव से छूटे नहीं इस बात को ध्यान में रखने का आदेश छिड़काव कर्मियों को दिया गया है।
- बालू मक्खी के काटने से होता है कालाजार;
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेन्द्र कुमार ने बताया कि – कालाजार एक संक्रमक व वेक्टर जनित रोग भी है। इस बीमारी का असर शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है। उन्होंने बताया कि- कालाजार बीमारी परजीवी बालू मक्खी के जरिये फैलती है। जो कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहती है। बालू मक्खी यही संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलाती है। इस रोग से ग्रस्त मरीजों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है। इसी से इसका नाम कालाजार यानि काला बुखार पड़ा ।
- कालाजार के लक्षण;
रुक-रुक कर बुखार आना, भूख कम लगना, शरीर में पीलापन और वजन घटना, तिल्ली और लिवर का आकार बढ़ना, त्वचा-सूखी, पतली होना और बाल झड़ना, कालाजार के मुख्य लक्षण हैं। इससे पीड़ित होने पर शरीर में तेजी से खून की कमी होने लगती है।
- छिड़काव के दौरान इन बातों का ध्यान अवश्य रखें :
- छिड़काव के पूर्व घर की अन्दरूनी दीवार की छेद/दरार बंद कर दें।
- घर के सभी कमरों, रसोई घर, पूजा घर, एवं गोहाल के अन्दरूनी दीवारों पर छिड़काव अवश्य कराएं। छिड़काव के दो घंटे बाद घर में प्रवेश करें।
- छिड़काव के पूर्व भोजन सामग्री , बर्तन, कपड़े आदि को घर से बाहर रख दें।
- ढाई से तीन माह तक दीवारों पर लिपाई-पोताई ना करें, जिससे कीटनाशक (एस पी) का असर बना रहे।
– बिहार से नसीम रब्बानी