शाजापुर/मध्यप्रदेश- जो महिला घर की चार दीवारी में रहकर गरीबी मे गुजर बसर करती थी। घर से बाहर निकलने पर परिचितों के अलावा किसी से बात भी नहीं करती थी। आज उसमें राष्ट्रीय आजीविका मिशन के साथ जुड़ने पर गजब का आत्मविश्वास बढ़ा है। मिशन से जुड़कर उसने रोजगार के संसाधन जुटाएं। अब वह बेझिझक लोगों से बात करती है और वह अन्य महिलाओं को भी आजीविका मिशन से जुड़ने के लिए प्रेरित करती है।
विगत दिवस राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक की ओर से स्व-सहायता समूहों के हितधारकों की बैठक रखी गई थी, जिसमे अजब बाई भी उपस्थित थी। बैठक में अजब बाई ने अपनी कहानी अपनी जुबानी सुनाई। अजब बाई ने बताया कि वह कैसे आजीविका मिशन से जुड़ी और उसे कैसे सफलता मिली। उसने बताया कि मैं वर्ष- 2016 से आजीविका मिशन से जुड़ी। इससे पहले मेरे पास आजीविका के कुछ साधन नही थे। मै मजदूरी पर आश्रित थी, मजदूरी भी पूरे समय नही मिलती थी और मिलती भी थी तो बहुत कम दर पर। इससे उसके परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती थी।
गौरव व्यास शाजापुर