*नगर निगम प्रयागराज अधिकारियों की लापरवाही से गोवंशो की हो रही है मौत
*गौशाला कहे की मौत साला
शंकरगढ़(प्रयागराज)- राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मे एक योजना महत्वपूर्ण है जैसे गोवंशों की सुरक्षा जिसमें राज्य सरकार द्वारा विकासखंड शंकरगढ़ क्षेत्र के जनवा गांव में बनाई गई ग्राम पंचायत की 17 एकड़ भूमि पर लगभग 10 करोड़ की लागत से बना कान्हा उपवन गोशाला गोवंशों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। जिसमे नगर निगम प्रयागराज के आवारा पशुओं को पकड़ कर नगर निगम द्वारा पालन पोषण हेतु गोशाला जनवा शंकरगढ़ में लाया जाता है । गोवंशों के लिए ग्यारह सेट बनाया जाना है परन्तु अभी तक आठ सेट ही बन पाया है । जिसमें बताया गया कि प्रति सेट में 70 से 80 गौवसो को रखा जाता है। परंतु आज देखा गया कि लगातार गोवंश की हो रही है मौत पर जहां प्रशासन मौन है जिस गोवंश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए गौशालाओं का निर्माण किया जा रहा है आज वही गौशाला कब्रगाह बन गया है आज देखा गया कि उस गांव मैं जाकर कान्हा गौशाला में देखा गया कि सेटों में तीन=चार मिलाकर कुल लगभग डेढ़ दर्जन गौवशो की मौत हुई है। पूछे जाने पर मालूम पड़ा कि इनकी मौत पन्नी खाने से हुई है। फिलहाल मामला जो भी हो इस तरह की लापरवाही नगर निगम प्रयागराज के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की वजह से हो रही है यह देखने से प्रतीत हो रहा था।
3 माह में सैकड़ों गायों की मौत
शंकरगढ़(प्रयागराज)कान्हा उपवन गौशाला में लगभग 3 माह से सैकड़ों की संख्या में गायों की मौत पर एक बड़ा सवाल उठ रहा है। बताया जा रहा है कि नगर निगम प्रयागराज से इन गायों की सुरक्षा व स्वास्थ्य संबंधित देखभाल के लिए पशु चिकित्सा अधिकारी धीरज गोयल की नियुक्ति हुई है ।परंतु लोगों का मानना है कि उक्त डॉक्टर एक-दो माह में एक दो बार आ कर खानापूर्ति कर रहा है ।और तो और गायों का पोस्टमार्टम भी उसी प्रांगण में एक व्यक्ति द्वारा होता है। जो कि वहां के कर्मचारी खुद ही गायों का पोस्टमार्टम करते हैं।
गौशाला में ही दफन कर दिए जाते हैं मृत गाय
शंकरगढ़(प्रयागराज) अब इसको नियम कहे की या सीनाजोरी यह तो जांच का विषय है परंतु आज देखा गया जहां पर इन गोवंश ओं को रखा जाता है वह जहां इतने कर्मचारी रहकर काम कर रहे हो वहीं पर इन गौवशो मरने के बाद जेसीबी द्वारा उनको वहीं पर दफना दिया जाता है वहां पर मौजूद सुपरवाइजर धनंजय सिंह का कहना है कि इन सब गायों कि मौत पन्नी खाने से हो रही है जब यहां के कर्मचारी इसका पोस्टमार्टम करते हैं तो उनके पेट से 30 से 35 किलो तक पन्नी निकलती है।
अंधेर नगरी चौपट राजा, मजा करे अधिकारी और मौत हो गौवशो की
यह कहां तक कहावत सही है यह तो नहीं पता पर इतना जरूर है कि इस कान्हा उपवन गौशाला में लगभग 10 करोड़ की लागत से इस योजना को तैयार किया जा रहा है और इस पर और भी कितने करोड़ रुपए लग जाए यह पता नहीं क्योंकि इसके संचालन में कहीं ना कहीं इस विभाग के अधिकारी भी जिम्मेदार हैं बताया गया कि अभी 2 दिन पूर्व इस गौशाला का निरीक्षण करने जिले अपर नगर आयुक्त आई हुई थी पर सोचनी विषय यह है कि क्या उनको नहीं पता कि इन गोवंशो की मौत हो रही है। क्या इन्होंने इसकी जानकारी जिला अधिकारी महोदय को अवगत कराया गया कि नहीं फिलहाल मामला जो भी हो पर सरकारी धन का दुरुपयोग वा इन गायों की मौत का जिम्मेदार कहीं ना कहीं विभागीय लोग हैं।
गायों की हो रही मौत का वीडियो वायरल होने से पहुंचे मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी
कान्हा उपवन गौशाला जनवा मैं हो रही गोवंशो की मौत का वीडियो आज सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिससे मुख्य पशु चिकित्सा आर पी प्रयागराज द्वारा निरीक्षण किया गया जिस पर उन्होंने सफाई दी कि इन गोलमोल को शहर से लाया जाता है। की मौत शहर के वातावरण के अनुसार पॉलिथीन खाने से वा पेट में अनाज सडन फैलने से गाये की मौत हो रही है।
सरकार द्वारा पॉलिथीन प्रबंधित होने पर भी कहां से आती है पॉलीथिन
वैसे तो प्रदेश सरकार पूर्व में ही पॉलिथीन ऊपर प्रतिबंधित लगा दिया गया था वैसे ग्रामीण क्षेत्रों में यह सर्वे असर है परंतु अगर शहर की बात करें तो वहां पर संबंधित विभाग के अधिकारी का जमावड़ा लगा रहता है उसके बावजूद भी शहरों में पॉलीथिन पर रोक नहीं लग रहा है ऐसा इन अमला अधिकारियों का मानना है क्योंकि अगर शहरों में पॉलीथिन पर रोक लगती तो इन मासूम गौवशो की मौत नहीं हो पाती क्योंकि विभाग के अधिकारी भी कह रहे हैं कि पॉलीथीन खाने से इन गौवशो की मौत हुई है ।तो उन पॉलिथीन बिक्री पर रोक क्यों नहीं लग रही है। यह भी एक प्रश्नवाचक चिन्ह है।