कब रुकेगा जिला चिकित्सालय में दवाओं के बरवादी का सिलसिला?

बस्ती। जिला अस्पताल में आने वाली सरकारी दवाएं मरीजों में वितरण के बजाए फेंकी जा रही हैं। ऑक्सीनज प्लांट के बगल स्थित बंद पड़े कमरे में भारी मात्रा में एक्सपॉयरी दवाएं, इन्हेलर सड़ रहा है। दवाओं की बर्बादी का यह सिलसिला लंबे समय से जारी है। इससे कुछ दिन पूर्व अस्पताल की पानी की टंकी के पास भारी मात्रा में एक्सपॉयरी दवाएं कूड़े में फेंक कर उसे जलाया जा चुका है। उस समय एसआईसी ने जांच कराकर कार्रवाई की बात कही थी, लेकिन मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। स्वास्थ्य विभाग, प्रशासन की ओर से इस पर रोक लगाने का अब तक कोई गंभीर प्रयास नहीं किया जा रहा है, जिससे लापरवाह कर्मियों का उत्साह बढ़ता जा रहा है। लाखों रूपए की दवाओं की होने वाली इस बर्बादी के संबंध में कोई पूछने वाला नहीं है।

ऑक्सीजन प्लांट के बगल बंद पड़े कमरे में इन्हेलर, साल्ब्यूटामॉल टेबलेट सहित अन्य दवाएं भारी मात्रा में पड़ी हुई है। दवाओं के कुछ गत्ते तो ऐसे हैं,जो बिना खुले हुए एक्सपॉयर हो चुके हैं। शनिवार को मीडिया कर्मियों की नजर इस कमरे पर पड़ने के बाद जब दवाओं की पड़ताल की गई तो मालूम हुआ यह दवाएं मार्च 2021 में ही एक्सपॉयर हो चुकी हैं। अब इन्हें धीरे-धीरे ठिकाने लगाया जा रहा है। जानकारों की माने तो अब तक लाखों रूपए की दवाएं ठिकाने लगाई जा चुकी है। इससे कुछ दिन पहले कूड़े में दवाओं को जलाया जा चुका है। बताया जा रहा है कि दवाओं का वितरण मरीजों में न करके उन्हें बाहर से दवा खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है तथा सरकारी दवाओं को कूड़े में फेंक दिया जाता है। इसके अवज में इस गोरख धंधे में शामिल अधिकारियों व स्टॉफ को मोटी रकम दवा कारोबारियों से मिलती है।

एसआईसी आलोक वर्मा अपने चैम्बर में नहीं मिले तो उनसे फोन पर हुई बात में उन्होंने बताया कि मामले की जांच कराई जा रही है। मामले की भनक लगने के बाद दवा स्टोर के नोडल डॉ. राम प्रकाश मौके पर पहुंचे तो उनका कहना था कि उन्हें मालूम ही नहीं है कि यहां पर दवाएं रखी जाती हैं। उन्होंने इसके लिए सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश ड्रग कारपोरेशन को ही जिम्मेदार ठहराया। उनका तर्क था कि दवाओं की ज्यादा आपूर्ति के कारण खपत नहीं हो पाती है, जिससे वह एक्सपायर हो जाती है।

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