ऋषि कुमार शुक्ला बने सीबीआई के नये डायरेक्टर : नागेश्वर राव की लेंगे जगह

*नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस नियुक्ति का किया कड़ा विरोध

नई दिल्ली- आईपीएस अधिकारी ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई का नया डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। वह कार्यकारी डायरेक्टर नागेश्वर राव की जगह लेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी, नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सीजेआई की अगुवाई वाली हाई पावर कमेटी ने शनिवार को यह फैसला लिया। खास बात है कि सीबीआई निदेशक की दौड़ में उन्होंने लगभग 80 आईपीएस अफसरों को पछाड़ा है, जिनमें जावेद अहमद, रजनीकांत मिश्रा और एसएस देसवाल तगड़े दावेदार थे।
इधर उच्च पदस्थ विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मीटिंग में ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई का नया डायरेक्टर नियुक्त करने का नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह कहते हुए कड़ा विरोध किया कि ऋषि कुमार को एंटी करप्शन का कोई अनुभव नहीं है लेकिन उनकी चली नहीं और उनके विरोध को दरकिनार करते हुए 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी ऋषि कुमार को पीएम व सीजेआई ने इस नियुक्ति को हरी झण्डी दे दी। वैसे मल्लिकार्जुन खड़गे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंसेज के निदेशक जावेद अहमद की नियुक्ति के हक में थे। उनका कहना था कि जावेद अहमद ऋषि कुमार के मुकाबले काफी अनुभवी हैं।
ध्यान रहे कि आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के बाद से नए सीबीआई डायरेक्टर की तलाश हो रही थी। ऋषि कुमार शुक्ला मध्य प्रदेश कैडर के 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। अभी तक वह मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग बोर्ड में डायरेक्टर जनरल की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। बतौर सीबीआई डायरेक्टर ऋषि कुमार शुक्ला का कार्यकाल दो साल का होगा।
इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने जल्द से जल्द नए सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति के आदेश दिए थे। शीर्ष अदालत ने पूछा था कि सीबीआई में कब तक अंतरिम निदेशक की स्थिति बनी रहेगी? कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार और सिलेक्शन कमेटी ने तेजी दिखाई और ऋषि कुमार शुक्ला का नाम सीबीआई के नए चीफ के तौर पर फाइनल हुआ।
बता दें कि इससे पहले कथित भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई डायरेक्टर आलोक कुमार वर्मा को सरकार ने उनके पद से हटा दिया था। उनका ट्रांसफर फायर सर्विस और होमगार्ड डिपार्टमेंट में बतौर डीजी कर दिया गया था। आलोक वर्मा पर उन्हीं के डिप्टी रहे राकेश अस्थाना ने कदाचार और भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए थे। वर्मा ने इस कदम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी थी। लेकिन बाद में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने उनका इस्तीफा अभी तक मंजूर नहीं किया है। मंत्रालय ने आलोक वर्मा को कहा है कि वह एक दिन के ड्यूटी पर आए। बता दें कि आलोक वर्मा 39 साल की सेवा के बाद 31 जनवरी 2019 को रिटायर होने वाले थे।

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