उत्तराखंड : यूकेडी ने मुख्यमंत्री द्वारा महिला शिक्षिका पर कार्यवाही को बताया शर्मनाक

उत्तराखंड/पौड़ी गढ़वाल- उत्तराखंड मुख्यमंत्री के जनता दरबार में महिला शिक्षिका श्रीमती अंतरा बहुगुणा के साथ घटी घटना राज्य को शर्मसार करने वाली घटना है। जिस महिला शक्ति के संघर्ष के बल पर आज मुख्यमंत्री कुर्सी पर आसीन है, उस महिला शक्ति को गिरफ्तार करवाना, मुकदमा दर्ज कराना और निलंबित करना सरकार की विफलताओं को उजागर करता है। शिक्षकों तथा अन्य विभागीय स्थानांतरण की प्रक्रिया आज पूर्ण रुप से सरकार से पैसे के लेनदेन पर आधारित हैं और सरकार के मुखिया जीरो टॉलरेंस का राग अलापते रहते हैं। वर्तमान सरकार तबादला नीति, रोजगार नीति और विकास नीति पर पूरी तरह असफल प्रतीत हो रही है।राज्य के मंत्री के जनता दरबार में एक व्यवसाई द्वारा आत्महत्या करना और एक शिक्षिका की बातों पर मुख्यमंत्री का गंभीर ना होना सरकार की उदासीनता को दर्शाता करता है। माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर अतिक्रमण हटाने के नाम पर गरीब ठेली-रेहड़ी व छोटे कारोबारियों का उत्पीड़न किया जा रहा है।सर्वविदित है कि बाजारों में जो पैदल फुटपाथ बने हुए हैं और उन पर जिन कारोबारियों ने अतिक्रमण किया हुआ है,उनमें से अधिकांश भाजपाई समर्थक है।रिस्पना और बिंदाल के किनारे जिन अतिक्रमण को हटाने की बात सरकार माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का सहारा लेकर कर रही है उन अतिक्रमण के पीछे कांग्रेस और भाजपा का ही हाथ है।आज दोनों ही दलों की कई ऐसे विधायक है जो इन अतिक्रमणकारियों की कृपा से ही विधायक बने हुए हैं।उक्रांद अतिक्रमण हटाने के अभियान का समर्थक है किंतु इस में पारदर्शिता होनी चाहिए तथा अतिक्रमण हटाने के नाम पर आम आदमी का उत्पीड़न नहीं होना चाहिए।अभियान में जितने भी विभागों के अधिकारी लगे हुए हैं उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पूर्व की भांति अतिक्रमण हटाने के अगले ही दिन पुनः अतिक्रमण ना हो पाएं।

– इंद्रजीत सिंह असवाल,पाैडी गढ़वाल उत्तराखंड

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