उत्तराखंड निवासी ने कविता के माध्यम से लगाई गांव में सड़क के लिए गुहार

उत्तराखंड/पौड़ी गढ़वाल- उत्तराखंड जनपद पाैडी गढ़वाल के विकासखंड रिखणीखाल के बनगढ निवासी संताेष ध्यानी ने अपनी कविता के माध्यम से सरकार से अपने गाँव के लिए सडक की मांग की उनका कहना है कि पिछले दस सालों में छ बार उनके गाँव के लिए सडक का सर्वे हाे चुका है परंतु सडक अब तक नही बनी ।

क्या मिलेगा दोस्त खुली आँखों से देखे सपने सजाने मे!
गाँव अपना भी आज शहर ही चला गया एक सड़क बनाने मे!
पहले भी कई निकल गए ‘सड़क की उम्मीद’ लिये “जनाजे” मे!
अब तो बाल अपने भी सफ़ेद हो लिए दोस्त एक सड़क बनाने मे!
झमेले ही झमेले है ये दोस्त छोटी सी एक सड़क बनाने मे!
बहुत माथा-पैची कर ली दोस्त एक सड़क बनाने मे!
समझते-समझते खुद नासमझ से हो गए ये दोस्त एक सड़क बनाने मे!
रूठा-रूठी से सर-फुड़ाई तक हो गई दोस्त एक सड़क बनाने मे!
कभी किसी अहंकार ही आड़े आ गया दोस्त एक सड़क बनाने में!
कभी किसी का खेत रोड़ा बन गया दोस्त एक सड़क बनाने मे!
कभी किसी वीरान गाँव के पानी का स्रोत रोड़ा बन गया दोस्त सड़क बनाने मे!
कभी कई पीढ़ियों का प्रवासी ही रोड़ा बन गया एक सड़क बनाने मे!
कभी सरकार ही बेकार का रोड़ा बन गई दोस्त एक सड़क बनाने मे!
कभी नेता जी तो कभी ग्राम प्रधान ही रूठ गए दोस्त एक सड़क बनाने में!
कैसे फिर ‘नोट’ मिलेंगे बार-बार दोस्त एक सड़क बनाने मे!
क्यों फिर वोट मिलेगे अगली बार दोस्त एक सड़क बनाने मे!
बार-बार *”सन्तोष”* ही मिला सर्वे की लकीरें खिंच जाने मे!
अब तो पगडण्डी भी उजड़ गई मेरे गाँव की दोस्त एक सड़क बनाने मे!!

-सन्तोष ध्यानी

ऊपर लिखी गई कविता रूपी पंक्तियां मेरी अपनी लिखी हुई हैं और ये कविता मैंने अपने गाँव मे पिछले 10 सालों में 6 सर्वे होने के बाद भी सड़क न बन पाने की वजह से लिखी हैं।

– पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल

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