हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है, स्पष्ट है कि हमारे देश के लिये राजस्व के नए नए स्रोत भी खोजने होंगे। इस बजट 2022 में कुछ बिन्दु ऐसे पढ़ने और सुनने को मिले हैं जिससे आशा बंधी है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री जी ने सरकार की नयी सोच का परिचय दिया है। बजट पूर्व माह में समाचार पत्रों में यह पढ़ने मिल रहा था कि सरकार शीघ्र ही विदेशों से संचालित होने वाली क्रिप्टो करेंसी जैसी डिजिटल मुद्रा पर रोक लगाने जा रही है। इस समाचार के मिलते ही डिजिटल मुद्रा क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने वालों में खलबली मच गई और सरकार की निंदा करनी शुरु कर दी। उनका मत था कि सरकार को कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे इस प्रकार की डिजिटल मुद्रा पर रोक न लगाकर बल्कि इसको आयकर की श्रेणी में लाए ताकि निवेश की जाने वाली धनराशि को लांग टर्म श्रेणी में लाकर (ब्लैकमनी) को अर्थव्यवस्था की प्रवाह में शामिल हो जाये।
इस विषय पर सरकार ने ‘द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन आॅफ आॅफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ के नाम से संसद में विधेयक लाने के लिए कैबिनेट के सामने मंजूरी के लिए विचार विमर्श भी किया। लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका। क्योंकि मंत्रिमंडल में इस विधेयक के प्रारुप पर सहमति नहीं बन सकी और संसद में नहीं रखा जा सके। इसके लिए क्रिप्टो एक्सेंजेस समेत विभिन्न विशेषज्ञ और क्षेत्रों ने क्रिप्टो पर कोई बीच का रास्ता निकाले जाने का सुझाव भी दिया। सरकार ने हठधर्मिता में न आकर बल्कि बीच का ऐसा रास्ता निकालते हुए बजट में घोषणा कर दी।
हमने इस क्षेत्र के कई निवेशकों से चर्चा की तो उनके द्वारा बताया गया कि क्रिप्टो करेंसी जैसी डिजिटल मुद्रा का संचालन विदेशों से हो रहा था। निवेशकों का यह भी मत था कि उनके द्वारा क्रिप्टो करेंसी में निवेश तो किया जा रहा है लेकिन इस करेंसी में रिस्क बहुत था, मसलन करेंसी के बढ़ते मूंल्यों के बीच निवेशक, निवेश की गई राशि का ड्रा नहीं कर सकता। यह बाजार बिल्कुल शेयर बाजार की तरह का बताया गया। जैसे शेयर बाजार में यदि उछाल है तो शेयर के दाम बढ़ते रहते हैं और यदि गिरावट आ जाती है तो निवेशकों को नुकसान भी झेलना पड़ता है लेकिन इतना अवश्य है कि शेयर बाजार में उछाल के चलते निवेशकों को होने वाले लाभ से सरकार को लांग टर्म अथवा शार्ट टर्म कैपिटल के माध्यम से राजस्व मिलता ही है। इसलिए इस बाजार में करचोरी की संभावना बहुत कम रहती है। फिर सेबी का नियंत्रण भी राजस्व वृ(ि का कारण बनता है। इधर वित्त मंत्रालय द्वारा जून 2021 में आयकर के नये पोर्टल को शुरुआत करने से सरकार को ऐसे छिपी आय की भी जानकारी मिलनी प्रारम्भ हो गई, जिसको निवेशक अपने आयकर रिटर्न में दर्शाते नहीं थे। लेकिन क्रिप्टो करेंसी जैसी डिजीटल मुद्रा से सरकार को कैसे भी यानि प्रत्यक्ष अथवा परोक्षरुप से राजस्व प्राप्त नहीं हो रहा था, कह सकते हैं कि इस डिजीटल मुद्रा के माध्यम से देश का पैसा ब्लैक मनी के माध्यम से विदेशों में जाने का सुलभ माध्यम बनता जा रहा था।
लेकिन वित्तमंत्री की इस घोषणा कि शीघ्र ही भारतीय रिजर्व बैंक अपना देश का डिजिटल मुद्रा के रुप में ‘डिजीटल रुपी’ जनता के बीच लांच करेगी। वित्तमंत्री की इस बजट घोषणा से ऐसे करदाताओं में उत्साह के साथ संतुष्टी भी देखने को मिली कि अब उनके द्वारा निवेश की जाने वाली धनराशि भारतीय रिजर्व बैंक के हाथों में सुरक्षित रहेगी। साथ ही उनके मन में इस विषय पर कोई चिंता देखने का नहीं मिली कि उनके द्वारा भारिबैं की ‘डिजीटल रुपी’ में निवेश पर प्राप्त होने वाली आय पर आयकर पर दर अधिकतम दर से यानि 30 प्रतिशत की दर से लगेगी, पर इस आयकर की दर को लेकर चिंता नजर नहीं आती।
इस डिजीटल रुपी की घोषणा से अर्थ व्यवस्था के प्रति नई सोच वाले विशेषज्ञों को ऐसा अनुभव अवश्य हो रहा है कि सरकार अब देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए पुरानी सोच से नई सोच में प्रवेश करने की शुरुआत कर रही है। क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था पुरानी सोच के आधार पर बनाये जाने वाले नियम आदि पर सुस्त गति से चलती आ रही थी। हम यह मान सकते हैं कि नये परीक्षणों एवं निर्णयों को अपनाने में देश के अर्थशास्त्री हिम्मत नहीं कर पा रहे थे अथवा देश की अर्थव्यवस्था 1947-1960 की अर्थव्यवस्था को आधार मानकर पुराने नियमों एवं कानूनों में लीक पर चलते आ रहे थे।
अनुभवियों के साथ विशेषज्ञों का यह कथन कहीं हद तक सत्य ही दिखता है कि प्रत्येक 20 साल के बाद पीढ़ी परिवर्तन होता है, अतः इस पीढ़ी परिवर्तन को स्वीकारते हुए दु्रत गति से प्रगति के लिए नयी सोच को अपनानी होती है और जो इस परिवर्तन को स्वीकार नहीं कर पाते वह प्रगति की दौड़ से बिछड़ जाते हैं। यह भी सत्य है कि हमारे देश दुनिया दूसरी बड़ी आबादी वाला देश है और इस देश की राजनीति भी पीढ़ी परिवर्तन को स्वीकार करने में सहमत नहीं है क्योंकि विश्व के ऐसे छोटे-छोटे देशों की ओर देखें तो वह नयी सोच के साथ संविधान के साथ देश की अर्थव्यवस्था में परिवर्तन की मांग को स्वीकारते हुए आमूल – चूल परिवर्तन को करने के लिए तत्पर रहते हैं।
अतः अंत में यही कहेंगे कि सत्ता में सरकार किसी भी दल की हो लेकिन केन्द्र सरकार के साथ राज्य सरकारों को और देश की राजनीति को भी देश के समग्र विकास के लिए सोच में परिवर्तन लाते हुए नई सोच, जिसमें जाति, धर्म, मुआवजा जैसा सोच और नीतिओं को त्यागना होगा और नये भारत के उदय के लिए नयी सोच को अपनाना होगा।
मैं अपनी बात को समाप्त करना चाहूंगा कि हमारे देश के नौजवान विदेशी कम्पनियों में शीर्ष पदों को सुशोभित कर रहे हैं क्या उनके स्तर की कोई कम्पनी भारत में नहीं है? ऐसा क्यों? विचार करना होगा!! इसी प्रकार अमेरिका अनुसंधान संस्था नासा में अधिकतर वैज्ञानिकों की सूची में भारतीय के नाम आते हैं लेकिन क्या वहीं वैज्ञानिक भारत के लिए काम नहीं कर सकते हैं अथवा कर नहीं पाएंगे!! विचार करना ही होगा, क्योंकि समय की मांग है, अन्यथा देश विश्व पटल पर टीक नहीं पाएंगे जबकि देश में प्रतिभा भी है, योग्यता भी है और कार्य कुशलता भी है। अतः केन्द्र सरकार की डिजिटल मुद्रा का दिल से स्वागत करना होगा।
-पराग सिंहल