* पं. सरूपचंद ने की थी राजा हरिश्चंद्र, पद्मावत, गोपीचंद, महाभारत, हीर रांझा व जानी चोर जैसे प्रसिद्ध सांगों की रचना
*हरियाणवी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए आकाशवाणी रोहतक कर रही है सराहनीय प्रयास
रोहतक/हरियाणा- आकाशवाणी रोहतक केंद्र की फोटो गैलरी में अपने समय के सुप्रसिद्ध सांगी एवं लोक कवि पं. सरूपचंद गांव जसौर खेड़ी जिला झज्जर की तस्वीर स्थापित की गई। केंद्र निदेशक डॉ. रंगा व सरूपचंद के सुपौत्र रामफल, राजेन्द्र द्वारा तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया।
प्रसिद्ध लेखक एवं साहित्यकार डॉ. पूर्णचन्द शर्मा ने श्री सरूप चन्द की जीवनी पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सरूपचन्द का जन्म सन 1884 में एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ। इनके पिता जी का नाम दौलतराम था। ये बचपन से ही कला प्रेमी थे। अपने चाचा गंगाराम से गुरुमंत्र लेकर यह सांग के क्षेत्र में उतरे।
इन्होंने राजा हरिश्चंद्र, पद्मावत, गोपीचंद, महाभारत, शरणदे, उत्तानपाद, हीर रांझा, रतन सेन, जानी चोर एवं जमाल गबरु जैसे प्रसिद्ध सांगों की रचना की। 25 नवंबर 1927 में 43 वर्ष की आयु में यह स्वर्ग सिधार गए। इनके सांगों की गुणवत्ता को देखते हुए महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में जमाल गबरु हरियाणवी भाषा और साहित्य की पुस्तक सांगाष्टक में सम्मिलित किया गया।
उन्होंने बताया कि हरियाणा की कला एवं संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे महान कवियों को प्रकाश में लाने के लिए आकाशवाणी रोहतक सराहनीय प्रयास कर रहा है। इस अवसर पर कार्यक्रम अधिशासी संजय बाली, वरिष्ठ उदघोषक संपूर्ण सिंह, प्राचार्य रामबीर सिंह, लोक गायक पाले राम दहिया, राकेश कुमार, जयबीर, सुनील व अशोक समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
– रोहतक से हर्षित सैनी