अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे ने मिलकर दिखाई आंखें..

*अश्वनी वैष्णव रेलमंत्री भावी मुख्यमंत्री राजस्थान की दौड़ में पहले नम्बर पर

बाड़मेर/राजस्थान- आजकल देश की राजनीति में भारी उथल पुथल मचा हुआ है और सभी नेता अपने आप को भावी मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे रख रहे हैं लेकिन राजनीति के विश्लेषक कहते हैं की आने वाले दोनों ही चुनावों में कोई भी बात सटीक साबित होना मुश्किल लगता है कारण लोगों ने पहले की तरह अपने पत्ते नही खोला है दोनों ही पार्टियों के झडे थाम कर चुनावों में नेताओं की तरह चौसर खेलने के मूड में दिखाई दे रहे हैं l

ढाणी बाजार में हथाई करने वाले वयोवृद्ध तो अपनी ही बात पर जोर देकर कहने लगे कि पायलट यूपी के प्रभारी बन भी गए तो सवाल पैदा होता है कि उनका अगला भविष्य क्या होगा ? दस-पांच साल उनका भविष्य अंधकारमय नजर आता है। केंद्र में कांग्रेस कभी काबिज होगी, इसकी कल्पना करना भी बेमानी है और यूपी में कांग्रेस सत्ता की कुर्सी हासिल करेगी, इसकी संभावनाएं दिखाई नही देती है ।अगले चुनावो में राजस्थान में कांग्रेस पुनः सत्ता हासिल करेगी, इसकी संम्भावना दूर दूर तक नजर नही आती क्योंकि जनता जनार्दन एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस पार्टी की सरकार बनाकर अपने लिए ऐसी ही सरकार बनाना चाहती है । लेकिन राज्य में हमारे मौजूदा भाजपा सांसदों द्वारा किए-कराए कामों पर हमारे देश की सरहदों पर सुरक्षा व्यवस्थाओं में तैनात भारतीय सेना के जवानों और प्रवासी राजस्थानियों के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण विषय दक्षिण भारत सहित बाड़मेर जिले से लम्बी दूरी की रेलगाड़ियों ओर हवाई सेवाओं की मांग ने अगले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए कहीं ऐसा लगता है कि भाजपा का सूपड़ा ही साफ ना कर दे।

सुभाष चौक में चाय की चुस्कियां लेते हुए युवा पीढ़ी के नेताओं ने बताया कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों में आज-कल सभी जिलों में लगभग दो दो खेमों में पार्टियां बंटी हुई है इसमें कोई संदेह नहीं है। बाकी राजनीतिक पार्टीयों द्वारा समय-समय पर दोनों ही पार्टियों में असंतुष्ट नेताओं के लिए स्वप्न बाग दिखाकर अपने दरवाजे खोलकर रखें हुए हैं ताकि अपना वर्चस्व कायम रखें नहीं तो फिर कहीं जितने से पहले ही पार्टियों का बंटाधार ना हो जाए।

राजनीतिक दलों से सम्बन्धित जानकारी रखने वाले सेवानिवृत्त मास्टरजी ने बताया कि भाजपा में भी मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, राजेंद्र राठौड़, सतीश पूनिया ओर केन्द्र सरकार द्वारा भी कोई पेराशूट जो केन्द्र सरकार में मौजूदा हालात में भाजपा सांसद हैं और प्रमुखता से जोधपुर के मूल निवासी अश्विनी वैष्णव रेलमंत्री पहले नम्बर पर ओर कोटा से ओम बिड़ला का नाम दूसरे नंबर पर मुख्यमंत्री बनने की चर्चाओं के बाजार में गर्मागर्मी से चल रहा है। लगभग सात आठ इस सूची में और भी शामिल हैं,कोई भी मुख्यमंत्री भाजपा नेतृत्व द्वारा बनाया जा सकता है। कुल मिलाकर अगला मुख्यमंत्री दोनों ही पार्टियों के लिए घमासान युद्ध के बाद विजेता की तरह ही होगा इसमें कोई संदेह नहीं है। कोई रूठकर कोप भवन में बेठ जाएगा तो कोई जोड़-तोड़ करके अपनी कार्यकुशलता का राजनीतिक भविष्य तय करेगा।

पायलट समर्थक राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि यदि आज चुनाव होते है तो बमुश्किल कांग्रेस पार्टी को पचास-साठ सीट भी नही मिलेगी । पुनः सवाल पैदा होता है कि पायलट का राजनीतिक भविष्य क्या होगा ? बमुश्किल अगले चुनावों में कांग्रेस पार्टी जोड़-तोड़ करके बहुमत हासिल कर भी लेती है तो पायलट का राजस्थान में मुख्यमंत्री बनना बहुत कठिन होगा । उनके सामने होंगे अशोक गहलोत जो किसी भी हालत में पायलट को राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनने नही देंगे ।

यह तय है कि इस बार कार्यकाल पूरा होने के बाद अशोक गहलोत एआईसीसी में महत्वपुर्ण जिम्मेदारी निभाएंगे । मौजूदा पोजिशन के हिसाब से खडगे के बाद ये सोनिया गांधी साथ ही दूसरे स्थान पर रहेंगे । अब सवाल यह उत्पन्न होता है कि गहलोत दिल्ली चले जाएंगे तो फिर प्रदेश में कांग्रेस की बागडोर किसके हाथ मे रहेगी ?

इस कार्यकाल के बाद राजस्थान में दो स्थितियां उत्पन्न हो सकती है । कांग्रेस पुन: सत्ता में लौटे अथवा विपक्षी पार्टी बने | यद्यपि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अगली बार भी कांग्रेस की सरकार बनने के प्रति पूर्ण रूप से आशान्वित हैं। यदि कांग्रेस पार्टी पुन: सत्ता में लौटती है तो कमान किसको सौपनी है, यह जिम्मेदारी भी अशोक गहलोत को ही बखूबी निभानी होगी | संभावना है कि नई सरकार का गठन कर किसी विश्वास पात्र उत्तराधिकारी को सत्ता सौंप कर वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में केंद्रीय नेतृत्व को अगले लोकसभा आम चुनावों के लिए तैयारी करने के लिए काग्रेस पार्टी में प्रमुख रोल अदा करें |

ऐसी परिस्थिति में सवाल उठता है कि अशोक गहलोत के दिल्ली जाने के बाद आखिर कौन सा राजनेता इस जिम्मेदारी को संभालने के लिए सक्षम है | प्रदेश में मुख्यमंत्री के चयन के लिए आजकल जातिगत आधार बहुत महत्वपूर्ण है | वर्तमान में पार्टी के मुख्यमंत्री तथा प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी वर्ग से आते हैं इसलिए संभावना है कि आने वाले समय में किसी अन्य जाति समूह को यह मौका मिल सकता है । वर्तमान में कांग्रेस की प्रादेशिक राजनीति में अगर नजर दौड़ाई जाये तो ब्राह्मण ,जाट और दलितों में ही कोई संभावनाएं बनती दिखाई देती है |

वैसे मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदारों में कांग्रेस पार्टी से बुलाकी दास कल्ला, शांति धारीवाल, सीपी जोशी, सचिन पायलट, हरीश चौधरी प्रमुख हैं । माना जाता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगले मुख्यमंत्री की पसंद बुलाकी दास कल्ला या शांति धारीवाल किसी एक में से होगी | अगर दिल्ली से गांधी परिवार की ओर से किसी ओर को नामित किया जाए तो संभावना बाड़मेर जिले के हरीश चौधरी की भी हो सकती है |

अशोक गहलोत यहां से दिल्ली जाने के बाद किसी भी सूरत में प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में सचिन पायलट को देखना नहीं चाहेंगे। हां यह बात तो है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दिल्ली चले जाने के बाद प्रदेश की राजनीति में सचिन को चुनोती देने के लिए वैभव गहलोत की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है । अशोक गहलोत जोधपुर सम्भाग से कहीं पर कांग्रेस पार्टी से मैदान मार सकते हैं ओर वैभव गहलोत को अशोक गहलोत की विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारने पर विचार किया जा रहा है।

हालांकि वैभव गहलोत का मुख्यमंत्री बनना कठिन हो सकता है । लेकिन पायलट के लिए राह आसान नही होगी । एक गलती के कारण न केवल पायलट ने बल्कि अपने अठारह बीस समर्थक विधायको का राजनीतिक भविष्य अंधकारमय बना दिया है । पायलट राजनीतिक आकाओं की सभा समारोह के दौरान भीड़ एकत्रित करने में समर्थ है । लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए हाथ मे केवल झुनझुना ही आएगा । कांग्रेस पार्टी को जब भी जरूरत होती है, पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाने पर उनके समर्थकों ने बताया कि पायलट का जमकर इस्तेमाल करने के बाद आखिरकार दूध में गिरी हुई मक्खी की तरह बाहर फेंक दिया जाता है ।

– राजस्थान से राजूचारण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *