अफसोस तो बहुत है तेरे जाने का मगर, तेरी बातों ने जीना सिखा दिया

बरेली। मानव सेवा क्लब एवं शब्दांगन द्वारा बिहारीपुर स्थित कवि इन्द्रदेव त्रिवेदी के जन्मदिन पर उनके आवास पर आयोजित काव्य गोष्ठी में नगर के कवियों ने अपनी अपनी मोहक प्रस्तुति देकर खूब तालियां बटोरीं। कार्यक्रम का प्रारंभ माँ शारदे के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर अतिथि पं. मेधावृत्त शास्त्री ने किया। माँ शारदे की वंदना की मोहक प्रस्तुति कवि रणधीर प्रसाद गौड़ ने की। गोष्ठी की अध्यक्षता शायर कवि चंद्रा लखनवी ने की। काव्य गोष्ठी के प्रारंभ में शायर और कवि राम प्रकाश सिंह ओज ने अपनी कविता की पंक्तियां अपनी जननी सा पवित्र कोई हो नहीं सकता। ममता की महक सा इत्रनकोई हो नहीं सकता सुनाकर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। कवि शायर रामकुमार अफरोज की इन पंक्तियों ने समां बांध दिया। प्यार मधुर एहसास लगा , वृन्दावन का रास लगा। विहगों का कलख सुनकर , पतझड़ भी मधुमास लगा। कवि इन्द्रदेव त्रिवेदी ने अपने गीत की लाइनें कुछ इस तरह प्रस्तुत की परिधान वसंती हों, दिनमान वसंती हों। हर मानव जब चाहे, पहचान वसंती हो। कवियत्री मीना अग्रवाल ने अपनी पंक्तियां अफसोस तो बहुत है तेरे जाने का मगर। तेरी बातों ने जीना सिखा दिया। सुनाकर बहुत वाहवाही लूटी। कवि सुधीर कुमार चंदन ने अपनी कविता की पंक्तियां पीला पन पैर पसारे वन – वन वसंत मे। शीत में कुछ कटौती करे पवन वसंत मे। श्रोताओं ने बहुत पसंद की। इनके अतिरिक्त कवि अनिरूद्ध कुमार शर्मा, चंद्रा लखनवी, सतीश शर्मा, राकेश शर्मा, अविनाश अग्रवाल, विशाल शर्मा, निर्भय सक्सेना, राजीव सिटी और रणधीर धीर ने अपनी कविताओं से लोगों को गुदगुदाया। कार्यक्रम का सफल संचालन मानव सेवा क्लब के अध्यक्ष सुरेन्द्र बीनू सिन्हा ने किया। उपस्थित सभी सदस्यों ने इंद्रदेव त्रिवेदी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया। सभी का आभार अलका त्रिवेदी ने व्यक्त किया।।

– बरेली से कपिल यादव

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