होलाष्टक सात मार्च से, 13 अप्रैल तक मांगलिक कार्यक्रम पर विराम

बरेली। इस बार सात मार्च से होलाष्टक शुरू होगा। इस दौरान विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्य नही होंगे। 13 मार्च को होलाष्टक समाप्त होगा तथा इस दिन होलिका दहन भी होगा। आमतौर पर होली के बाद विवाह और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस वर्ष 14 मार्च को मलमास शुरू हो रहा है। मलमास के दौरान शुभ कार्यों पर रोक रहती है। इस वर्ष विवाह समेत मांगलिक कार्य 13 अप्रैल को मलमास खत्म होने के बाद ही शुरू होंगे। पंडित सुशील पाठक ने बताया कि इस बार सात मार्च से होलाष्टक शुरू हो रहा है। इस दौरान विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे। 14 मार्च को मलमास शुरू हो रहा है। मलमास के दौरान शुभ कार्यों पर रोक रहती है। इसलिए इस वर्ष विवाह समेत मांगलिक कार्य 13 अप्रैल को मलमास खत्म होने के बाद ही शुरू होंगे। फाल्गुन में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू होता है जो पूर्णिमा यानी होलिका दहन तक रहता है। इस समय विवाह, मुंडन, नामकरण, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य करने पर रोक रहती है। इस अवधि में सभी ग्रह उग्र स्थिति में रहते हैं। इस कारण वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। इसीलिए शुभ कार्यों पर रोक रहती है। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन अर्थात् पूर्णिमा तक होलाष्टक रहता है। इस दिन से मौसम की छटा मे बदलाव आना आरम्भ हो जाता है। सर्दियां अलविदा कहने लगती हैं और गर्मियों का आगमन होने लगता है। होलाष्टक के विषय मे यह माना जाता है कि जब भगवान श्री भोले नाथ ने क्रोध में आकर कामदेव को भस्म कर दिया था तो उस दिन से होलाष्टक की शुरूआत हुई थी। होली बसंत ऋतु में मनाया जाने वाला उत्साहपूर्ण पर्व है, होली पर्व का शुभारम्भ आठ दिन पहले ही हो जाता है, जिसे होलाष्टक विधान कहा जाता है। मान्यता है कि होलाष्टक में शुभ कर्म नहीं किए जाते, न ही कोई मांगलिक कार्य होता है, कोई नई वस्तु नही खरीदी जाती। भगवान श्री कृष्ण आठ दिन तक गोपियों संग होली खेले और दुलहण्डी के दिन अर्थात् होली को रंगों में भीगे कपड़ों को अग्नि के हवाले कर दिया, तब से आठ दिन तक यह पर्व मनाया जाने लगा।।

बरेली से कपिल यादव

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