सौ साल का हुआ दरगाह का गुंबद, मदीना शरीफ से गुंबद की डिजाइन

बरेली। आला हजरत की दरगाह पर सफेद और काले पत्थर से बना गुंबद सौ साल का हो गया। यही गुंबद दुनियाभर में बरेली मरकज की पहचान बना हुआ है। दरगाह पर आने वाले आला हजरत के मुरीद इसी गुंबद को दिल में बसाकर लौटते है। आला हजरत फाजिले बरेलवी के 1921 में विसाल के बाद सौदागरान में उनकी मजार बनाई गई थी। उनके बड़े बेटे और दरगाह के पहले सज्जादानशीन हुज्जातुल इस्लाम के वक्त में सन् 1924 में उनके मजार की गुंबद बनवाई गई थी। गुजरात निवासी आला हजरत के खलीफा अल्लामा महमूद जान ने माचिस की तीलियों से इसका मॉडल तैयार कर हुज्जातुल इस्लाम को दिखाया था। मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने बताया कि मदीना शरीफ की मीनार से दरगाह आला हजरत के लिए काले और सफेद गुंबद की डिजाइन ली गई थी। उर्स के दौरान दरगाह की गलियों से लेकर इस्लामिया ग्राउंड तक साफों की दुकानें लगती हैं। बाहर से आने वाले जायरीन आला हजरत के गुंबद के रंग वाला साफा सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। इस गुंबद की तरह अब शहर में कई और मस्जिदों के गुंबद बना लिए गए है।।

बरेली से कपिल यादव

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