सरहदी इलाकों में हमेशा की तरह फिर पकड़ी 11.740 ग्राम हेरोइन ‌

*लेकिन असली आकाओं को पकड़ने में हमेशा छूट रहा है भारी पसीना

बाड़मेर/राजस्थान- हमारे देश की सरहदों पर सुरक्षा व्यवस्थाओं के लिए लगाई गई तारबंदी के पास कल बीएसएफ द्वारा एनसीबी, एसबी जोधपुर और स्थानीय पुलिस के द्वारा तारबंदी के पास जमीन के नीचे छिपाकर रखे गए दो बैगों में पैक हेरोइन के ग्यारह पैकेट बरामद किया गए जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग पचपन करोड़ रुपये आंकी गई है। बाड़मेर सेक्टर में सीमा पार हेरोइन की खेप पार करने की सूचना पर कार्रवाई करते हुए, बीएसएफ ने एनसीबी, एसबी जोधपुर और स्थानीय पुलिस के साथ एक विशेष संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया, जिसमें सीमावर्ती क्षेत्र के बिजराड़ पुलिस थाना अंतर्गत हूरों का तला गांव के नजदीकी तारबंदी के पास एक वृक्ष के नीचे छिपाकर रखे गए दो बैगों में हेरोइन के ग्यारह पैकेट बरामद किए गए और इस मामले की बाड़मेर जिले में तैनात जांच तमाम एजेंसियां कर रही हैं।

हमेशा की तरह या फिर कोई तस्कर गिरोह गिरफ्तार होगा कारण हमारी भारत पाकिस्तानी सरहदी इलाकों से पिछले काफी समय से सीमा पार करके पाकिस्तानी आकाओं द्वारा भारत में भेजी जाने वाली लगभग एक क्विंटल हेरोइन से ज्यादा जब्त की जा चुकी है। तीन दर्जन से ज्यादा बार जब्त हेरोइन राजस्थान से होकर पंजाब और दिल्ली के तस्करों तक पहुंचाई जानी थी लेकिन हमारी सरहदों पर सुरक्षा व्यवस्थाओं में मुस्तैद सीमा सुरक्षा बल के जवानों के साथ ही एसओजी, एटीएस , स्थानीय पुलिस तंत्र व नारकोटिक्स कन्ट्रोल ब्यूरो जोधपुर बाड़मेर जैसलमेर जिलों के भारतीय सीमा पर तस्करी में लिप्त स्थानीय पुराने ओर नये युवा पीढ़ी के सक्रिय तस्करों को कई बार गिरफ्तार कर चुकी है लेकिन सीमा पार बैठे तस्करी के पारंगत आकाओं की पहचान भी जांच-पड़ताल करने वाले अधिकारियों द्वारा कर ली गई थी, लेकिन इनके पकड़ में आने की संभावनाएं बहुत कम दिखाई देती है उन्हें गिरफ्तार करना बड़ा चुनोती भरा काम है।

एनसीबी के अनुसार पिछले साल खाजूवाला में सीसुब की कार्रवाई में 56.501 किलो हेरोइन जब्त की गई थी। एनसीबी जांच-पड़ताल कर रही थी और इस मामले में स्थानीय तस्करों की पहचान की जा चुकी थी। वहीं, सीमा पार लाहोर पाकिस्तान से हेरोइन भेजने वाले मलिक चौधरी को नामजद किया गया है। एनसीबी का कहना है कि सीमा पार से हेरोइन या अन्य मादक पदार्थ भेजने वालों को पकडऩा लगभग नामुमकिन है। यदि ऐसे वांछित तस्कर किसी और देश में जाते हैं तो वहां से प्रत्यर्पण संधि के तहत गिरफ्तार करके भारत में लाया जा सकता है, लेकिन पाकिस्तान से इन्हें लाना काफी मुश्किल भरा काम है।

पिछले एक दशक से भारत सरकार ने पाकिस्तान पर प्रत्यर्पण संधि के लिए दबाव बनाना शुरू किया था। समय-समय पर गृह सचिव स्तरीय की बातचीत के दौरान भारत सरकार ने दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि की जरूरत पर बल दिया था। प्रत्यर्पण संधि होने के बाद पाकिस्तान में रह रहे मोस्ट वांटेड अपराधियों को भारत लाने में आसानी होगी। इसके अलावा भारत ने आपराधिक मामलों की जांच में दोनों देशों के बीच कानूनी सहयोग संधि का प्रारूप भी पाकिस्तान को सौंपा था लेकिन मौजूदा हालात में यह रद्दी की टोकरी में चला गया होगा।

पिछले एक दशक से ओर कोराना भड़भड़ी से पहले समय समय पर गृह सचिव भारत सरकार की ओर से प्रत्यर्पण संधि करने का प्रस्ताव रखा गया और पाकिस्तान ने इसे स्वीकार कर लिया था। और अब तक उसकी प्रतिक्रिया का हमारी केन्द्र सरकार को इंतजार है। इसके साथ ही भारत ने प्रत्यर्पण संधि को कार्यरूप में लाने के लिए आपराधिक मामलों में कानूनी सहयोग की संधि का प्रारूप भी पाकिस्तान को सौंपा था। प्रारूप पर विचार करने के लिए पाकिस्तान ने दो माह का समय मांगा था। इस संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद दोनों देशों की एजेंसियां आपराधिक मामले की जांच में एक-दूसरे का सहयोग कर सकेंगी।

– राजस्थान से राजूचारण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *