जंसा/ वाराणसी -आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है।नवरात्र के पहले दिन देवी मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है।नवरात्रों में देशभर के मंदिर सजाए जाते हैं,जहां पूरे नौ दिन मां के सभी रूपों की पूजा होगी।जंसा क्षेत्र के चौखण्डी व बरेमा में स्थित माँ अष्टभुजी देवी शैलपुत्री मंदिर में भी भक्तों की काफी भीड़ उमड़ रही है।
जानकारी देते हुये माँ शैलपुत्री देवी मंदिर के महंत रमाकांत पाण्डेय ने बताया की भक्त मां शैलपुत्री से अपने परिवार की सुख-शांति की मुरादे मांग रहे हैं।दूर-दराज से श्रद्धालु देवी मां के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।वहीं मन्दिर के महन्त द्वारा मंदिरों में प्राइवेट सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं,ताकि किसी प्रकार की कोई अनहोनी घटना न हो पाए।मां शैलपुत्री के दर्शन का ये है महात्म
मां शैलपुत्री देवी मंदिर के महंत रमाकांत पाण्डेय ने नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के स्वरूप के दर्शन के बारे में बताया कि मां बहुत शांत स्वरूप में हैं।मां के एक हाथ में त्रिशूल तो दूसरे हाथ में कमल हैं।नवरात्र में माता अपने भक्तों पर अमृत वर्षा करते हुए सच्चे मन से मांगी गई उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं यही वजह हैं कि यहां भक्तों की भारी भीड़ होती हैं।
*वैवाहिक कष्ट भी होते हैं दर्शन से दूर:-*
मंदिर के पुजारी की मानें तो भगवती दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री का है। हिमालय के यहां जन्म लेने से उन्हें शैलपुत्री कहा गया। इनका वाहन वृषभ है।इन्हें पार्वती का स्वरूप भी माना गया है।ऐसी मान्यता है कि देवी के इस रूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी।इनके दर्शन मात्र से सभी वैवाहिक कष्ट दूर हो जाते हैं। नवरात्रि के मौके पर आज सुबह से ही जंसा के अलग-अलग देवी मंदिरों में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है।
-संवाददाता-एस के श्रीवास्तव विकास