बरेली। शहर के जाटवपुरा मे रहने वाला गोविंद राम उर्फ रमेश 30 साल से बटलर प्लाजा की एक दुकान पर नौकरी कर रहा था। लॉकडाउन के दौरान उसे दुकान मालिक ने काम से निकाल दिया। उसके बाद वह बेरोजगार हो गया। मकान का किराया नहीं दे पाया तो उसे मकान मालिक ने भी जमकर पीटा। किसी तरह मोहलत मांगने के बाद आशियाना तो बच गया लेकिन नौकरी जाने के बाद परिवार भुखमरी के कगार पर आ गया। गोविंद राम ने कर्ज लेकर साइकिल खरीदी और उस पर बीड़ी सिगरेट आदि बेचने का काम शुरू किया। इसी बीच अपनी दुख भरी कहानी बताते समय उसकी आंखों से आंसू छलक आए। वहीं दुकान मालिक आए दिन बटलर के सामने दुकान लगाने पर धमकी दे रहा है। थाना बारादरी के जाटवपुरा में किराए के मकान में रहने वाले गोविंद राम उर्फ रमेश का जीवन लॉकडाउन से पहले सामान्य चल रहा था। परिवार में मानसिक मंद बड़े भाई की देखभाल के साथ ही वह बटलर में एक दुकान पर काम कर रहा था। बटलर में उसे काम करते हुए 30 साल हो गए थे। नौकरी के दौरान उसे कोई दिक्कत नहीं आई। लॉकडाउन के दौरान मालिक ने यह कहकर निकाल दिया कि वह उसे तनख्वाह नहीं दे पाएगा। उधर जिस मकान में वह किराए पर रहता था। उसका किराया भी उस पर चढ़ने लगा। जिसे न देने पर मकान मालिक ने उसकी पिटाई तक लगा दी। मामला पुलिस तक पहुंच गया। किराया थोड़ा-थोड़ा करके देने पर सहमति बनी। 49 सौ रुपये किराया की रकम गरीब के लिए बहुत थी। मजबूरी और लाचारी में गोविंद राम ने कर्ज लेकर सबसे पहले कबाड़ से साइकिल खरीदी। उसके बाद साइकिल को ही दुकान बनाकर बटलर प्लाजा के सामने दुकानदारी शुरू कर दी। गोविंद राम का परिवार पहले बहुत ही खुशहाल था। उसके परिवार में पत्नी और बच्चे थे। जिनकी मौत हो गई। उसका बड़ा भाई गोपाल मानसिक मंद है। जिसकी देखभाल का सारा जिम्मा उसके ऊपर है। सरकार गरीबों को मुफ्त राशन देने का दावा कर रही है उसका फायदा भी रमेश को नहीं मिल रहा। वह कई बार राशन कार्ड के लिए आवेदन कर चुका है लेकिन अभी तक उसका राशन कार्ड नहीं बन पाया। लॉकडाउन में अगर से सरकारी गल्ला मिल जाता तो कुछ राहत मिल जाती।।
बरेली से कपिल यादव