अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के विरोध में दलित और बहुजन संगठनों ने 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया है.दलित संगठनों के अलावा अलग-अलग राज्यों में कई राजनीतिक दलों ने भी इसका समर्थन किया है. वही अब इसको लेकर मायावती और अखिलेश एक साथ आते नजर आ रहे हैं….दरअसल मायावती और अखिलेश दोनों ने भारत बंद का समर्थन किया हैं… इस मामले का समर्थन सबसे पहले मायावती ने किया. इसके बाद मायावती का साथ देते हुए अखिलेश ने भी भारत बंद का समर्थन किया.. और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की तारीफ भी की..बसपा अध्यक्ष मायावती ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर भारत बंद का समर्थन करते हुए कहा, “बसपा भारत बंद के आह्वान का समर्थन करती है, क्योंकि भाजपा, कांग्रेस और अन्य पार्टियों के आरक्षण विरोधी षड्यंत्र और इसे निष्प्रभावी बनाकर अंततः खत्म करने की मिलीभगत के कारण एक अगस्त 2024 को एससी-एसटी के उपवर्गीकरण में क्रीमी लेयर से संबंधित उच्चतम न्यायालय के निर्णय के खिलाफ दोनों समुदायों में भारी रोष व आक्रोश है।” मायावती ने आगे कहा, “इसे लेकर इन वर्गों के लोगों द्वारा आज ’भारत बंद’ के तहत सरकार को ज्ञापन देकर संविधान संशोधन के जरिये आरक्षण में हुए बदलाव को खत्म करने की मांग की जाएगी, जिसे बिना किसी हिंसा के अनुशासित व शांतिपूर्ण तरीके से किए जाने की अपील है।” इसी बीच भारत बंद को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का बयान आया. उन्होंने सोशल मीडिया X पर पोस्ट करते हुए कहा कि जन-आंदोलन बेलगाम सरकार पर लगाम लगाते हैं. “आरक्षण की रक्षा के लिए जन-आंदोलन एक सकारात्मक प्रयास है. ये शोषित-वंचित के बीच चेतना का नया संचार करेगा और आरक्षण से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ के ख़िलाफ़ जन शक्ति का एक कवच साबित होगा. शांतिपूर्ण आंदोलन लोकतांत्रिक अधिकार होता है.” सपा मुखिया ने आगे कहा कि ”बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी ने पहले ही आगाह किया था कि संविधान तभी कारगर साबित होगा जब उसको लागू करनेवालों की मंशा सही होगी. सत्तासीन सरकारें ही जब धोखाधड़ी, घपलों-घोटालों से संविधान और संविधान द्वारा दिये गये अधिकारों के साथ खिलवाड़ करेंगी तो जनता को सड़कों पर उतरना ही होगा.” गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाया था. जिसमें कहा था था कि ‘सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं. कुछ जातियां ज्यादा पिछड़ी हो सकती हैं. इन लोगों के उत्थान के लिए राज्य सरकारें SC-ST आरक्षण का वर्गीकरण सब-क्लासिफिकेशन कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है. ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है.
बता दें कि नौकरी और आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर यूपी उपचुनाव से पहले तूल पकड़ रहा है. बीते कुछ सालों के दौरान इन दोनों ही मुद्दों को लेकर बीजेपी सरकार पर सवाल उठते रहे हैं. ऐसे में उपचुनाव से पहले फिर इन मुद्दों के कारण बीजेपी सरकार घिरी हुई है. वही इन मुद्दों पर मायावती और अखिलेश यादव बीते कुछ दिनों में एक सुर में नजर आए हैं.