रबर फैक्ट्री के मालिकाना हक पर फैसला न आने से अटके बड़े प्रोजेक्ट

बरेली। बॉम्बे हाईकोर्ट से 20 अरब से अधिक कीमत की रबर फैक्ट्री की जमीन के मालिकाना हक का फैसला नही आने से कई बड़े प्रोजेक्ट फंसे है। इस मामले को मीरगंज विधायक डॉ. डीसी वर्मा ने विधानसभा सत्र मे उठाया था। इसके बाद उप सचिव मनोज कुमार आर्य ने डीएम को अभिलेखों के साथ आख्या शासन को भेजने के लिए पत्र लिखा है। विधायक ने सदन मे कहा था कि निर्णय नही आने से बरेली में जमीन के अभाव मे कई बड़ी शिक्षण संस्थाएं और औद्योगिक इकाइयां नही लग पा रही है। बॉम्बे हाईकोर्ट मे रबर फैक्ट्री केस की पैरवी के लिए राज्य सरकार की ओर से कई नामी वकीलों को लगाया है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सी सिंह और मुंबई के वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश दुबे पाटिल केस की पैरवी कर रहे है। अनिल सी सिंह और रमेश दुबे पाटिल की फीस लाखों मे बताई जा रही है। बरेली मे केस की पैरवी कर रही अपर आयुक्त न्यायिक प्रीति जायसवाल के निर्देश पर एडीएम फाइनेंस ने वकीलों की फीस के बिल बनाकर शासन को भेजे हैं। शासन से बिल भुगतान के लिए यूपीसीडा के कानपुर मुख्यालय भेजे जाएंगे। फतेहगंज पश्चिमी में रबर फैक्ट्री के लिए 1960 में मुंबई के सेठ किलाचंद को 1382.23 एकड़ जमीन तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने 3.40 लाख रुपये में लीज पर दी थी। लीज डीड में यह शर्त शामिल की थी कि जब फैक्ट्री बंद होगी, तब सरकार जमीन वापस ले लेगी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। यह फैक्ट्री 15 जुलाई 1999 को बंद हो गई थी। इसमें बॉम्बे हाईकोर्ट में पिटीशन संख्या 999/2020 अलकेमिस्ट एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन लिमिटेड बनाम मैसर्स सिंथेटिक एंड केमिकल्स लिमिटेड व अन्य में शासन की ओर से हस्तक्षेप आवेदन दाखिल है। लीज डीड की कॉपी भी साक्ष्य के रूप में हाईकोर्ट को पहले ही दे दी थी।।

बरेली से कपिल यादव

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