बरेली। भाई-बहन के अटूट स्नेह का पावन पर्व रक्षाबंधन सावन महीने की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाएगा। हमेशा पूर्णिमा तिथि पर भद्रा रहित मुहूर्त मे ही राखी बांधनी चाहिए। इस दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित सावन का अंतिम सोमवार भी पड़ रहा है। एक साथ दो संयोग से इस दिन का महत्व और बढ़ गया है। रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई की रक्षा के लिए उसकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधते समय शुभ मुहूर्त की विशेष ध्यान रखे। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 19 अगस्त को सुबह 3:05 पर पूर्णिमा शुरू हो रही है। इसके साथ ही भद्रा भी प्रारंभ हो जाएगी। पूर्णिमा रात्रि 11:55 तक रहेगी। भद्रा सोमवार को दोपहर 1:33 तक रहेगी। इसलिए भद्रा के बाद राखी बांधना शास्त्र सम्मत बताया गया है। इसके अलावा सोमवार को सुबह 7:32 से 9:09 तक राहुकाल रहेगा। राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य न करे। हिंदू पंचांग के अनुसार राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 32 मिनट के बाद से लेकर रात्रि 09 बजकर 07 तक रहेगा। इस समय आप अपने भाई को राखी बांध सकती हैं। इस दिन भद्रा का साया सुबह 5 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक रहेगा, जिसके चलते इस दौरान राखी बांधने की मनाही है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस बार राखी पर चार योग बन रहे हैं, जो कि बहुत ही उत्तम हैं। सूर्य मे शुक्र होने के कारण सुबह से लेकर शाम तक शुक्रादित्य योग रहेगा। इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि एवं शोमन योग, रवि योग व सौभाग्य योग में रक्षाबंधन मनेगा। ये सभी योग पूरे दिन रहेंगे। सूर्योदय के बाद शुभ मुहूर्त मे भाई को राखी बांधने के लिए थाली सजाएं। थाली में चंदन, रोली, अक्षत, मिठाई, दीपक रखें। पूर्व दिशा की ओर आसन लगाकर भाइ को बैठाएं। फिर भैया के माथे पर तिलक, अक्षत का टीका कर कलाई पर प्रेम और विश्वास का प्रतीक पवित्र रक्षा सूत्र बांधे। घी के दीपक से आरती उतारें। मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराएं। बदले में भाई अपनी बहन की जन्म अगला लेख जन्मांतर तक रक्षा करने का संकल्प लेते है। साथ ही राखी के बदले अपनी प्यारी बहना को अपने सुविधा के मुताबिक उपहार देकर बड़ी बहन से आशीर्वाद और छोटी बहना को आशीर्वाद देते है। वही राखी बंधवाने के बाद भाई को अपनी बहनों के चरण स्पर्श करने चाहिए। इसके साथ ही रक्षा बंधन का मंत्र(येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि ,रक्षे माचल माचल:।) भी बोलना चाहिए।।
बरेली से कपिल यादव