यूपी में 9217 अपात्रों को बांट दिए पीएम आवास, 59 जिलों में फर्जीवाड़ा आया सामने

*सम्भल यहाँ गरीबों के साथ धोखा ,पक्के मकान बालों को दे दिया पैसा , 77 आवास अब रिकवरी में

सम्भल । गरीबों के साथ धोखा पक्के मकान बालों को आवास के नाम पर दे दिया गया पैसा 77 आवास आए सामने उत्तर प्रदेश में गरीबों को आवास देने के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत ऐसे लोगों को आवास के नाम पर करोड़ों रुपये की रकम बांट दी गई जो इस योजना के लिए पात्रता ही नहीं रखते थे। प्रदेश के 59 जिलों में ये बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। कुल 9217 अपात्रों को आवास के नाम पर 54.61 करोड़ रुपये की रकम बांट दी गई है। अब ये अपात्र लाभार्थी ढूंढें नहीं मिल रहे हैं। सरकार डैमेज कंट्रोल के लिए अपात्रों को दी गई रकम वसूल करने के लिए नोटिस जारी कर रही है।

मुरादाबाद के मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार बोले , हमारे यहां निरंतर समीक्षा होती रही है और विशेष हमारी नजर बनी हुई है ।प्रधानमंत्री आवास योजना बनाई है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों हो या शहरी क्षेत्र की ,हाँ शिकायतें शुरू में ज्यादा मिली थी , जिसमें पत्र को न देने और अपात्र को देने की सूचना भी मिली थी ,हर एक शिकायत की जांच कराई गई है l जहां-जहां अपात्र व्यक्ति मिले उन पर कार्रवाई की गई है और रिकवरी भी हुई है । संबंधित अधिकारी पर भी कार्रवाई करते हुए कहा कि आगे से पात्र व्यक्ति को ही मकान मिल सके अगर कहीं पर कोई ऐसा मामला संज्ञान में आता है तो कार्रवाइया की जा रही है । इसमें कोई दो राय नहीं है की वसूली की भी शिकायतें रही है जो एजेंसियां रही है , लोगों को मकान दिलाने के नाम पर वसूली करती रही है । अब साक्क्ष सहित साक्क्ष के आधार पर जहां पर हमें यह मिल जाता है पुख्ता सबूत तो हम कार्रवाई करेंगे । अगर हमें एक भी ऐसा व्यक्ति शिकायतकर्ता मिल जाए तो , हम कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई करेंगे ।

कैसे किया गया फर्जीवाड़ा-

इस योजना के तहत देश में कहीं भी पक्का मकान नहीं होना चाहिए। इसके अलावा लाभार्थी बीपीएल कार्डधारक होना चाहिए या अधिकतम आय 3 लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। लेकिन इस योजना में सरकारी कर्मचारियों की मदद से 6 लाख रुपये से अधिक इनकम वाले और पक्के मकान में रह रहे लोगों के भी आवेदन स्वीकार कर उन्हें 1.20 लाख रुपये बांट दिए गए। जांच में खेल खुला तो अब वसूली की जा रही है।

अपात्रों को आवास हुए आवंटित-

गरीबों के आवास को अमीरों को आवंटित कर दिए गए। 2016-17 से लेकर 2022-23 तक प्रदेश में 9217 अपात्रों को आवास के आवास के नाम पर रकम बांट दी गई। अपात्र लाभार्थी रकम लेकर गायब हो गए हैं। करीब 3 हजार लोग ऐसे हैं, जिन्होंने रकम ले ली, लेकिन आवास बनवाया ही नहीं, गांव तक छोड़कर चले गए। अब इनका पता नहीं लग रहा है कि ये कहां हैं।सत्यापन में किया गया खेल-

कच्चे घरों में रहने वाले गरीबों को प्रधानमंत्री आवास देने के प्रावधान हैं। तीन किस्तों में 1.20 लाख की धनराशि एक लाभार्थी को दी जाती है योजना का लाभ उसी लाभार्थी को दिया जा सकता है जिसके पास कच्चा घर हो और सालाना आय एक लाख रुपये से ज्यादा न हो। लेकिन सत्यापन के दौरान सचिवों ने खेल कर दिया जिसके चलते मक्के मकानों वाले अमीरों को भी आवास अलाट कर दिये गए।

शासन ने जिलों की जारी की लिस्ट-

जब मामले की जांच की गई तो पता चला की तमाम अपात्र लाभार्थियों के बैंक खातों में आवास की रकम ट्रांसफर कर दी गई है। हाल ही में शासन ने अपात्र लाभार्थियों को आवास देने वाले लापरवाह जिलों की लिस्ट जारी की है जिसमें ये खुलासा हुआ है। टॉप टेन जिलों में ही 3340 अपात्रों को आवास दिए गए। अपात्रों से 54.61 करोड़ की रिकवरी की जानी है इसमें से अभी सिर्फ 35.75 करोड़ की वसूली हो सकी है।
घोटाले बाजों ने सीएम सिटी को भी नहीं बक्शा मगर यह लाभार्थी जो इसके पात्र नहीं थे ढूंढो से भी हाथ नहीं आ रहे हैं ।

उधर दूसरी तरफ इस मामले को लेकर सम्भल सपा सांसद डा.शफीकउररहमान वर्क भड़क उठे हैं । उन्होंने कड़ी इसकी निंदा करते हुए उन्होंने कहा है यह गरीबों के साथ धोखा है गरीबों के नाम पर जिनके पास बीपीएल राशन कार्ड नहीं थे ,3 लाख से ज्यादा उनकी आमदनी थी पक्के मकान वालों को घर आवास योजना के नाम पर पैसा कैसे दे दिया गया। यह सब संबंधित अधिकारियों की मिली भगत से हुआ है । सम्भल में भी 77 नाम ऐसे घर बताए गए हैं संसाद ने ये भी कहा है जिन लोगों ने इसमें मिलकर बंदर वाट किया गया है संबंधितों विभाग ने व दलालों ने घोटाला किया है उनकी गिरफ्तारी होनी चाहिए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और उनसे वसूली भी होनी चाहिए साथ ही साथ सरकार इधर भी ध्यान दें । सांसद ने यह भी कहा जो गरीब थे जो योजना के असली पात्र थे उनसे संबंधित विभाग और डूडा वालों ने नगर पालिका के कर्मचारियों के साथ मिलकर मोहल्ले में अपने दलाल लगा दिए उनको ढाई लाख रुपए देकर उनकी बैंक पासबुक उनसे या ब्लैक चेक पर अंगूठा लगवा कर किस्त की रकम आने पर एक लाख रुपये उन गरीबों से ले लिए गये है । ऐसे कई सारे मामले सम्भल सहित में मुरादाबाद मंडल में क्या पुरे उत्तर प्रदेश में
हैं उन पर पहले से अपना निजी पक्का मकान है । फिर उन्होंने पुराना घर लेकर उसे पर पीएम योजना का लाभ लेकर उसको बनवाकर किराए पर उठा दिया है । जिसमें सरकारी क्या , निजी फाइनेंस कंपनी किराए पर रह रही है ऐसे दर्जनों मामले आपको सम्भल सहित सभी जिलों में देखने को मिल जाएंगे अगर इसमें जो सरकार पर आंकड़े हैं तो सरकार वसूली करे और कार्रवाई करने के साथ-साथ जिन गरीबों से जो इसके पात्र थे और उन पर कुछ भी नहीं है रोजी-रोटी का साधन भी नहीं जिन लोगों से 1 लाख 50 हजार या 20 हजार तक दलालों ने हर किस्त के आने पर या उससे पहले दलाली के लिए हैं उनकी सूची बनाकर उनसे भी पैसा लेकर गरीबों को वापस करना चाहिए तब सरकार की प्रशंसा होगी, सांसद ने कहा इतनी बड़ी योजना के अंतर्गत जिला प्रशासन को संबंधित अधीनस्थ अधिकारी कर्मचारी ने कैसे गुमराह कर दिया। उनके खिलाफ जांच कर जिला स्तर अधिकारी के माध्यम से हर जिले मंडल स्थर से कार्रवाई होनी चाहिए ताकि गरीबों को इंसाफ मिल सके सरकारी धन का दुरुपयोग ना हो । असली हकदार पात्र हैं । दलालों ने उनका पैसा दलाली के विभागीय अधिकारी से हमाज होकर आवास दिलाने के नाम हड़प्पा है । अगर उनको उनका हक पैसा वापस मिल जाए तब प्रधानमंत्री आवासीय योजना का लाभ उनको पूर्ण रूप से मिल पाएगा । सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार जो 5461 करोड़ का घोटाला किया गया है फर्जी तरीके से लाभ पहुंचाने वाले सूची जारी कर सभी 59 जिलों की लिस्ट जारी की है जिसमें खुलासा हुआ है। जिसमें सम्भल जिले में 77, चित्रकूट 69,फैजाबाद 23, मऊ 33,महाराजगंज 178, कन्नौज,164, दौराला 77, ललितपुर 50,कानपुर 27 नगर संतकबीर नगर 29, जालौन 26,बनारस 2,बरेली 9 , सीतापुर 379 ,बलिया 326, सुल्तानपुर 263 प्रयागराज 288,, रायबरेली फतेहपुर209, प्रतापगढ़ 475 औरैया 103आजमगढ़ 187, हरदोई 300, बहराइच 816, गोंडा जौनपुर 404,अमेठी 109 बहराइच 816, उन्नाव 493,भदोही 308,सोनभद्र, 384,अयोध्या301लखनऊ सीएम सिटी भी शामिल है । इसकी सूची भी संकलन है किस जिले में कितना पैसा फर्जीवाड़ा कर बांटा गया और किस कितना लेने के बाद कितना बकाया है यह नाम सहित नीचे लिस्ट भी है। सीएम सिटी में भी हुआ फर्जी बाड़ा गोरखपुर और राजधानी लखनऊ में भी अधिकारियों ने सेटिंग कर जमकर फर्जी अपात्रो को आवास की रकम बांट दी गोरखपुर में जहां 165 आपत्रों को 85.90 लाख रुपए फर्जी तरीके से दिए गए हैं वहीं महज 17 लाख ही वसूल किए गए हैं वही लखनऊ में 11.42 फर्जी आपात्रो को आवास की 69.40 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए हैं इसमें अभी तक 15.80 लाख रुपए ही वसूल किया जा सके हैं । कानपुर में पैसा लेकर गायब हो गए फर्जी लाभार्थी कानपुर की बात करें तो 2016-17 से 2022 तक जिले के करीब 20 लोग ऐसे हैं जिन्होंने आवास का पैसा तो ले लिया लेकिन उन्होंने आवास आज तक नहीं बनाया जिसमें 2016 2023 के बीच शिवराजपुर ब्लॉक के चार लोग गांव छोड़कर तीन आवास ही नहीं बना रहे पत्र में एक चौबेपुर ब्लाक में तीन कल्याणपुर में दो भीतरगांव ब्लॉक में दो घाटमपुर में दो लोग पैसा लेकर पलायन कर गए वहीं 6 लोग धनराशि लेकर हजम कर डकार गए। शासन के आदेश पर अधिकारी बोले वसूली की जा रही है । मामले में जिला ग्रामीण विकास एजेंसी डीआरडीए के परियोजना रेशन के के सिंह के मुताबिक फर्जी आपात्रों की सूची तैयारी की गई है अब सभी को नोटिस भेज कर धनराशि की वसूली की जा रही है जो लोग पारायण कर गए हैं उनको उनका पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। पीएम आवास योजना ग्रामीण के लिए यह है पात्रता लेकिन पात्रता को किनारे कर दिया गया। पीएम आवास योजना के पत्र केवल निम्न प्रकार होना चाहिए। आवेदन करने वाला गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाला होना चाहिए आवेदक का नाम पर देश या कहीं भी पक्का मकान नहीं होना चाहिए आवेदन करने वाले परिवार की वार्षिक आय तीन लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए आवास योजना के तहत एक परिवार में केवल एक ही आवास निर्माण किया जाएगा आवेदक परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर अर्थात बीपीएल कार्ड धारक होना चाहिए अधिकतम 55 वर्ष आयु तक के उम्मीदवार ही आवेदन कर सकते हैं 55 वर्ष से ज्यादा आयु नहीं होनी चाहिए एक बार योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त कर लिया हो तो दोबारा इसका लाभ नहीं उठाया जा सकता है ।क्या?
वापस मिलेगी गरीबों की रकम जो
असली हकदार हैं । रोड दलालों ने आधार कार्ड लेकर ढाई लाख रुपये दिलाने से पहले 50 हजार ₹100000 का तय करने के बाद उनके खाते में पैसा आने के बाद उनसे पैसा वसूल किया है हर मोहल्ले में दलाल लगे हैं और संबंधित विभाग विभाग से सेटिंग का हवाला देकर पैसे की वसूली की जाती है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *