बरेली। मुकद्दस रमजान का महीना हो और खजूर का जिक्र न हो तो बेमानी सा लगता है। इस बार कोरोना को देखते हुए खजूर की मांग कई गुना बढ़ गई है। खजूर रोजेदारों की इम्युनिटी बढ़ाने का काम कर रहा है। बाजार में इस समय खजूर की एक दर्जन से अधिक वैरायटी मौजूद है। इनमे अजवा खजूर की मांग सबसे ज्यादा है। खजूर की विशेषताओं और इसकी मांग को देखते हुए बाजारो में अलग-अलग देशों से लाए गए खजूर की कई वैराइटी मौजूद है। इन दिनों शहर के बाजारो में मध्य पूर्वी देश जैसे ईरान, इराक, सऊदी अरब और फ़िलिस्तीन समेत नॉर्थ अफ्रीका के अल्जीरिया और ट्यूनीशिया से आए खजूर खरीदे जा सकते है। बाजारों में अजवा, सफवी, कलमी, अल रोजा, अलिफ रेहान, फरद, याकूत, अलमदीना, कीमिया, बूमन, बट, इनसमूर, किम तमूर, फेलकॉन, डेसर्ट किंग, मस्कट, अरेबियन, सीडलेस, मरियम, शफ़ाफी, अम्बर, खुर्द, मदीहा, सहरी, ब्लेक फ्रूट आड़ खजूर मौजूद हैं। बाजा तरह-तरह के खजूरों से पट गए है। बाजार में 60 रुपए से लेकर 4000 हजार रुपए किलो तक के खजूर मौजूद हैं। रमजान के पवित्र महीने में खजूर के इस्तेमाल का अपना अलग महत्व है। अमीर हो या गरीब सभी रोजेदार इफ्तार में खजूर को जरूर शामिल करते हैं। दरअसल, हदीस में खजूर से रोजा इफ्तार करने की बात आई है। इफ्तार करने का सुन्नत तरीका खजूर से इफ्तार करना है। सऊदी अरब के मदीना का अजवा खजूर बेहद खास होता है। यह खजूर जितना खाने में सॉफ्ट और स्वादिष्ट है। उससे ज्यादा इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। जिसके कारण यह तीन से 3500 रुपये किलो तक बिकता है। इसका जिक्र इस्लामिक पवित्र ग्रंथ में भी किया गया है।।
बरेली से कपिल यादव