मंदिर सांस्कृतिक केन्द्र ही नहीं बल्कि आर्थिक विकास के केन्द्र भी हैं

गत 22 जनवरी को रामलला की जन्म स्थान पर भव्य, दिव्य एवं नव्य मंदिर को भगवान राम को समर्पित करते हुए प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुआ। इससे पूर्व बनारस में काशी विश्वनाथ काॅरीडोर का निर्माण हुआ। तत्पश्चात उज्जैन में महाकाल मंदिर स्थल पर काॅरीडोर का निर्माण हुआ, राजस्थान स्थित खाटू श्याम जी के मंदिर पर काॅरीडोर का निर्माण हो रहा है। मैंने जनपद नाम फैजाबाद से नये नाम अयोध्या को 1987 से नजदीक से देखा है। मैं यह कह सकता हूं कि 2020 से पूर्व अब का अयोध्या को नये आयाम में बदलते हुए विकसित जनपद केन्द्र बनते देखा है। जब मैंने पहली बार फैजाबाद गया था तब पुराने ढांचे में रामलला के दर्शन किये थे, उसके बाद फैजाबाद के साथ पूरे भारत में राम मंदिर आंदोलन प्रारम्भ हुए और अब आंदोलन और प्रयासों के परिणाम स्वरुप ही 2024 में विशाल और भव्य राम मंदिर जनसाधारण को समर्पित हो गया।

राजनीतिक पटल के साथ कथाकथित बुद्धजीवियों के बीच एक चर्चा और प्रश्न अक्सर होता है कि राम मंदिर बनने से क्या मिला? परन्तु उनके द्वारा कभी विचार नहीं किया जा सका कि देश के पौराणिक और धरोहर रुपी मंदिर केवल मंदिर ही नहीं होते बल्कि आस्था और सांस्कृतिक केन्द्र होते हैं। इन पौराणिक और धरोहर रुप मंदिरों के नव्य और भव्य बन जाने से देश के अर्थव्यवस्था को बड़े उद्योग से भी अधिक मजबूत भूमिका निभाने में सक्षम हो रहे हैं।

भारतीय स्टेट बैंक की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होने के साथ सरकार द्वारा अयोध्या में पर्यटन केन्द्र के रुप में प्रोत्साहित करने हेतु उठाये गए कदमों के चलते चालू वित्त वर्ष के अंत तक उत्तर प्रदेश का पर्यटन उद्योग चार लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा, इसका किसी ने अध्ययन नहीं किया। यह समाचार प्रदेश के पयर्टन का उत्साह बढ़ाने वाली तो हैं। प्रधानमंत्री के अयोध्या को लेकर जो विजन है, उसको पूरी तरह से साकार करते हुए अब यह पौराणिक जनपद एक क्रांति के आगाज करने को तैयार हो चुका है। आंकड़े स्पष्ट रुप से कहने लगे हैं कि 2022 में लगभग 32 करोड़ पर्यटकों ने उत्तर प्रदेश का भ्रमण किया, जिनमें से 2.21 करोड़ पयर्टक तो सिर्फ अयोध्या के दर्शन हेतु आये थे। जबकि प्रदेश की कुल जनसंख्या 25 करोड़ है अर्थात एक ऐसा प्रदेश, जहां पर कुल जनसंख्सा से अधिक पर्यटक भ्रमण को आने लगे हैं। इसके साथ पूरे प्रदेश की बात करें तो घरेलू पयर्टकों के मामले में 18.4 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ उत्तर प्रदेश का पहला स्थान बना चुका है और विदेशी पर्यटकों के दृष्टि में छठे स्थान पर रहा। लेकिन अयोध्या राम मंदिर को लेकर अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और आस्ट्रेलिया के साथ सभी देशों में जो उत्साह दिख रहा है, उससे वर्तमान का आंकड़े में भारी बदलाव की संभावना दिखने लगी है। पीढ़ियों से विदेशों में बसे भारतवंशी समुदाय को भव्य और नव्य राम मंदिर ने उनकी जड़ों को याद दिलाने और उन्हें अपन मातृभूमि से जोड़ने में अहम भूमिका निभाने के साथ लुभाना शुरु कर दिया है। यह तो निश्चित है कि भव्य और नव्य राम मंदिर विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बनने जा रहा है। 23 जनवरी 24 की रिपोर्ट उत्साह बढ़ाने वाली है कि प्रातः 6 बजे से सांय 10 बजे तक लगभग 5 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किये और तो और व्यवस्था बिगड़ती देख लखनऊ से अयोध्या जाने वाली सरकारी बस जैसी सेवाओं पर सरकार को रोक लगानी पड़ी। लेकिन निजी वाहनांे का आना अनवरत रहा।

अयोध्या में स्थानीय टूरिस्ट और टूर आपरेटर्स के एक पदाधिकारी का कहना था कि पहले प्रतिदिन 20 से 25 वाहनों की बुकिंग होती थी लेकिन जब से राम मंदिर का निर्माण प्रारम्भ हुआ है तब से यह संख्या लगातार बढ़ रही है। प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व ही लगभग 100 से 150 वाहनों की बुकिंग होने लगी लेकिन अब आगे कितने वाहनों की आवश्यकता होगी तो ऐसी स्थिति में कितने वाहनों को क्रय करते हुए मांग को पूरा करना होगा, इस पर यूनियन विचार कर रही है। एक स्थानीय होटल के स्वामी का कहना है कि अयोध्या जी धाम स्थित धर्मशालाआंे एवं बजट होटलों में अगले कई महिनों की बुकिंग होने लगी है।

इस तथ्य पर ध्यान देना होगा कि 22 जनवरी 2024 को जब बालक राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सम्पन्न हो रहा था, तब देशभर में दिवाली जैसा माहौल पैदा हो गया था। देशभर के प्रत्येक शहर व कस्बों में जनता ने बाजारों में रोशनी लगायी, स्थान-स्थान पर भण्डारे किये गये, मिठाई बांटी गई, चारों ओर भगवा झंडों से सजाया गया, गीत भजन आदि बजाये गये, जैसा उल्लासभरा था, व्यापारिक सगठनों द्वारा अनुमान व्यक्त किया जा रहा है कि देश भर में लगभग 1.20 लाख करोड़ का व्यापार हुआ।

बात करें काशी विश्वनाथ काॅरीडोर के निर्माण के बाद की तो रिपोर्टस् बताती है कि काॅरीडोर के निर्माण के बाद बनारस के होटलों एवं स्थानीय टूरिस्ट कम्पनियों के साथ रेहड़ीवालों के साथ स्थानीय लघु उद्योगों और गंगाजी में नाविकों की आय में 67 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई जबकि व्यापारिक विकास के साथ आय की बढ़ोतरी स्वयं में रिकाॅर्ड बना रही है। मथुरा वृन्दावन विकास परिषद द्वारा किये जा रहे समग्र विकास का प्रभाव दिखने लगा है वृन्दावन, गोवर्धन, बरसाना, गोकुल, नन्दगांव, बलदेव आदि तीर्थो पर 2023 में लगभग 6 करोड़ तीर्थयात्री दर्शनों हेतु मथुरा-वृन्दावन आने लगे। अयोध्या के राम मंदिर को शामिल कर लें तो सरकारी रिपोर्टस् के अनुसार 2024 में 5 करोड़ जबकि स्थानीय दुकानदारों द्वारा व्यक्त की जा रही आशा-अनुरुप 2024 में ही लगभग 10 करोड़ तीर्थ यात्रा अयोध्या आएंगे।

केन्द्र एवं प्रदेश सरकार अयोध्या को दुनिया को सबसे बड़ा पर्यटन केन्द्र बनाने हेतु सड़क, रेलव व वायु परिवहन व्यवस्था को दुरुस्थ कर चुकी है और भीड़ की स्थिति को देखते हुए जिसमें होटल आदि की व्यवस्था को और भी मजबूत बनानी होगी। 2031 के मास्टर प्लान के तहत अयोध्या में जिस प्रकार से लाखों-करोड़ रुपयों का निवेश हो रहा है उससे अयोध्या को वेटिकन सिटी और मक्का के समान आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन केन्द्र बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता दर्शा रही है।

अब सभी आंकड़ों का अध्ययन करते हुए आप स्वयं भी रिपोर्ट कार्ड बना सकते हैं कि निर्मित होने वाले विभिन्न पौराणिक मंदिर एवं धरोहर सांस्कृतिक केन्द्र के साथ निचले स्तर पर देश में रहने वाले लोग एवं छोटे-छोटे व्यापार एवं उद्योग स्वयं में विकसित होने के साथ समृद्धता की राह में आगे चल पड़े हैं, जिससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार देने के साथ आर्थिक विकास को नई दिशा देने वाले प्रमाणित होने जा रहे हैं। लेकिन दोनों ही सरकारों को समग्र विकास की मजबूती के साथ कार्य करना होगा। -पराग सिंहल, आगरा

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